73वें गणतंत्र दिवस (73rd Republic Day) की पूर्व संध्या पर तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किए जाने के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने मंगलवार को ट्विटर पर अपना परिचय बदलने की अफवाहों के बीच, स्पष्टीकरण दिया कि यह कुछ भ्रम पैदा करने के लिए किसी की एक "शरारत" है.
मंगलवार की देर रात आजाद ने ट्वीट किया, "कुछ लोगों द्वारा भ्रम पैदा करने के लिए कुछ शरारती प्रचार किया जा रहा है. मेरे ट्विटर प्रोफाइल से कुछ भी नहीं हटाया या जोड़ा गया है. प्रोफाइल पहले की तरह ही है."
गुलाम नबी आजाद ने जब से पार्टी में व्यापक सुधार के लिए सोनिया गांधी को लिखे पत्र पर उन 23 नेताओं (जी -23) के साथ हस्ताक्षर किए हैं, तब से वह गांधी परिवार के वफादारों के निशाने पर रहे हैं.
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की सूची में आजाद का नाम आने पर पार्टी सहयोगियों ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है. उनके सहयोगी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा, "पश्चिम बंगाल के पूर्व सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पद्म भूषण पुरस्कार को अस्वीकार कर दिया." उन्होंने लिखा, "सही कदम उठाया, वो आजाद रहना चाहते हैं, न कि गुलाम."
"आजाद नहीं गुलाम": पार्टी सहयोगी को पद्म पुरस्कार दिए जाने के बीच जयराम रमेश की प्रतिक्रिया
जयराम रमेश ने पूर्व नौकरशाह पीएन हास्कर के पुरस्कार से इनकार करने के बारे में एक किताब का एक अंश भी ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा, "जनवरी 1973 में, हमारे देश के सबसे शक्तिशाली सिविल सेवक को बताया गया था कि उन्हें पीएमओ छोड़ने पर पद्म विभूषण दिए जाने की सिफारिश की जा रही है. यहां पीएन हक्सर की प्रतिक्रिया है. यह एक क्लासिक है, और अनुकरणीय है."
इस बीच, एक अन्य कांग्रेस नेता राज बब्बर ने पुरस्कार के लिए उनके नाम की घोषणा के बाद आजाद को बधाई दी है और कहा है कि गांधीवादी आदर्शों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता हमेशा प्रेरणास्रोत रही है. कांग्रेस के एक अन्य नेता शशि थरूर ने भी गुलाम नबी आजाद को यह सम्मान मिलने का स्वागत किया है.