कोयले की कमी की वजह से महाराष्ट्र में बिजली संकट है. राज्य में करीब 3000 मेगावॉट बिजली की कमी है. मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए ऊर्जा मंत्री ने इसके लिए केंद्र सरकार और बारिश को ज़िम्मेदार बताया. महाराष्ट्र में कोयले की सप्लाई में कमी का असर यह हुआ कि सोमवार को राज्य में पावर प्लांट के 13 यूनिट बंद रहे. मंगलवार शाम तक यह संख्या घटकर 7 यूनिट की हो गई, लेकिन सवाल ये है कि क्या बिजली संकट का असर महाराष्ट्र के लोगों को झेलना पड़ेगा. मंगलवार शाम राज्य के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस कमी के लिए कोल इंडिया के अधिकारियों को ज़िम्मेदार ठहराया.
महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने बताया. 'कोल इंडिया के प्रबंधन की कमी इसकी सबसे बड़ी वजह है. उसके अलावा क्लाइमेट चेंज के वजह से कई जगहों पर तूफान और भारी बारिश का असर भी देखने मिला.'
ऊर्जा मंत्री ने बताया, 'राज्य में करीब 3000 मेगावॉट की कमी है. इसके लिए सितंबर अंत में राज्य सरकार ने 20 रुपये प्रति यूनिट में बिजली खरीदी, अब 17 रुपये में खरीद रही है. कोयला लाने के लिए राज्य सरकार ने 1 हज़ार करोड़ रुपये दिए हैं. कुछ कंपनियां ऐसी हैं, जिनके साथ राज्य ने बिजली सप्लाई का करार किया गया था, लेकिन उन्होंने उसे नहीं निभाया, इसपर कार्रवाई होगी. राज्य में कहीं भी बिजली कटौती नहीं की जाएगी. नवंबर अंत तक हालात ऐसे रहेंगे और लोगों को सुबह शाम बिजली संभलकर इस्तेमाल करना चाहिए.'
हालांकि, प्रेस कांफ्रेंस में नितिन राउत ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के आसपास के ऐसे राज्य भी हैं, जहां पर कोयले की कोई कमी नहीं है और ऐसा कहते हुए उन्होंने इशारे में ही राज्य के साथ अलग व्यवहार करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, 'मेरा सवाल है कि गुजरात औए गोवा में जरूरत से ज़्यादा कोयला है और महाराष्ट्र में इसकी कमी है, ऐसा क्यों?'