सुरक्षा बलों के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं अमरनाथ यात्रा, जानिए कैसी चल रही तैयारी

सुरक्षा बलों के बीच तालमेल ठीक हो, इसके लिये रूट पर ज्वाइंट पीसीआर की तैनाती होगी. कहीं कोई गड़बड़ी न हो इसके लिये हर यात्री और पोनी राइडर का डिजिटल पहचान पत्र बनाया जाएगा.

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद अमरनाथ यात्रा को सफल बनाना अब सुरक्षा बलों के बड़ी चुनौती बन गया है. राहत वाली बात ये है कि इस साल अमरनाथ यात्रा की अवधि 52 दिन के बजाय 38 दिनों की होगी. यह यात्रा 3 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगी. आतंकी खतरे को देखते हुए गृह मंत्रालय इस बार केंद्रीय पुलिस बलों की 581 कंपनियां तैनात करेगी. प्रत्येक कंपनी में 70 से 80 जवान तैनात होते है. इसमें सीआरपीएफ की 219, बीएसएफ की 143, एसएसबी की 97 , आईटीबीपी की 62 और सीआईएसफ की 60 होगी. 

केंद्रीय पुलिस बल के अलावा यात्रा की सुरक्षा में जम्मू कश्मीर पुलिस और सेना के हज़ारों जवान भी मुस्तैद होंगे ताकि अमरनाथ यात्रा में कोई खलल ना डाल सके. अमरनाथ यात्रा दो रूट में होती है.

परंपरागत पहलगाम के चंदनबाड़ी से और दूसरा बालटाल के रास्ते अमरनाथ गुफा पहुंचा जाता है. पुराना रूट थोड़ा लंबा है. पहलगाम से गुफा तक का रूट करीब 48 किलोमीटर है तो बालटाल का रूट 14 किलोमीटर का है. वैसे जम्मू से गुफा तक दोनों रूटों का सिक्योरिटी आडिट किया गया है . डिजिटल मैपिंग की गई है . यात्रा के दौरान नेशनल हाइवे के सारे अप्रोच रूट को ब्लाक किया जाएगा.

यात्रा के काफिले के साथ-साथ जैमर होंगे. आगे पीछे एक्सकार्ट वाहन की सुरक्षा का घेरा होगा. इतना ही नहीं यात्रा के दौरान जगह-जगह पर क्विक एक्शन टीम तैनात होगी. बम डिस्पोजल स्क्वाड और खोजी कुत्ते से लैस 9 स्क्वाड यात्रा की सुरक्षा में होंगे. संवेदनशील इलाकों में ड्रोन के जरिये भी नज़र रखी जायेगी.

हेलीकॉप्टर और आधुनिक उपकरणों से भी चप्पे-चप्पे पर नज़र होगी. सुरक्षा बलों के बीच तालमेल ठीक हो, इसके लिये रूट पर ज्वाइंट पीसीआर की तैनाती होगी. कहीं कोई गड़बड़ी न हो इसके लिये हर यात्री और पोनी राइडर का डिजिटल पहचान पत्र बनाया जाएगा. सुरक्षा व्यवस्था मुकम्मल हो, इसके लिए तमाम एजेंसियों के बीच हाई लेवल बैठकों का दौर जारी है. खुद सीआरपीएफ के डीजी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह जम्मू बेस कैम्प से लेकर पहलगाम तक सुरक्षा का जायजा ले चुके हैं. कुल मिलाकर इस बार अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित सफल करवाना बहुत बड़ी चुनौती होगी, वो भी तब जब अब तक पहलगाम आतंकी हमले के गुनहगारों का कोई अता-पता नहीं चल पाया है.

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