अमरनाथ यात्रा : जमीन से लेकर आसमान तक रखी जाएगी नजर, 60 हजार जवान होंगे तैनात

अमरनाथ यात्रा के चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए स्नाइपर और शार्प शूटर्स भी होंगे. खासकर यात्रा के काफिले पर ड्रोन से लेकर सेटेलाइट तक से निगरानी रखी जाएगी. 

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अमरनाथ यात्रा के चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए स्नाइपर और शार्प शूटर्स भी होंगे. (फाइल)
नई दिल्‍ली:

अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा तैयारियां शुरू हो गई हैं. 62 दिन की यात्रा के लिए लखनपुर बार्डर से लेकर पवित्र गुफा पर जमीन से लेकर आसमान तक से नजर रखी जा रही है. यात्रा को सफल बनाने के लिए हजारों जवानों की तैनाती की जाएगी. अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले के अंदेशे को देखते हुए सुरक्षा बलों की तैनाती शुरू हो गई है. सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ के अलावा जम्मू कश्मीर पुलिस और सेना के जवानों की तैनाती होगी. सबसे ज्यादा सीआरपीएफ के जवान तैनात होंगे. अकेले यात्रा के लिए ही करीब 60 हजार जवान तैनात किए जाएंगे.

अमरनाथ यात्रा के चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए स्नाइपर और शार्प शूटर्स भी होंगे. खासकर यात्रा के काफिले पर ड्रोन से लेकर सेटेलाइट तक से निगरानी रखी जाएगी. 

जम्मू कश्मीर पुलिस के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने कहा कि हर बार की तरह इस बार भी सुरक्षा एजेंसियों के लिए अमरनाथ यात्रा काफी चुनौती से भरी होगी. श्रीनगर में जी-20 के मंत्री समूह की बैठक अभी-अभी खत्म हुई है. हम नहीं चाहते हैं कि जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के दौरान कोई बड़ा हादसा हो. आज जरूरत है कि सुरक्षा को पुख्ता तरीके से मजबूत किया जाए. इसमें चुनौती यह रहेगी कि यात्रियों के बीच कोई संदिग्ध ना घुस आ जाए,  इसके लिए आरएफआईडी कार्ड शो किया गया है, ताकि पहचान हो सके.

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उन्‍होंने कहा कि सुरक्षा के घेरे में यात्रा का पूरा रूट रहेगा. हर रूट को प्रोटेक्ट किया जाएगा, सैनिटाइज किया जाएगा ताकि कहीं से किसी भी तरह का हमला ना हो सके. गाड़ियां जो यात्रा में शामिल रहेंगी उनकी सही तरीके से जांच करनी होगी. कश्मीर घाटी में इस दौरान जून से ही नजर रखी जाएगी और तालमेल पर खासा जोर होगा. 

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जम्‍मू-श्रीनगर हाइवे पर खतरा ज्‍यादा 
सबसे ज़्यादा खतरा करीब 266 किलोमीटर लंबे जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाइवे पर होता है जो आतंकी हमलों के निशाने पर रहता है.  यात्रा से पहले रोड ओपनिंग पार्टी की तैनाती बढ़ाई जा रही है. साथ में डॉग स्‍क्‍वॉड भी रहेगा. सुरक्षा का मुख्य जिम्मा सेना को सौंपा गया है, मगर अन्‍य बलों से तालमेल के साथ. 

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NDRF ने की विशेष तैयारी 
यही नहीं, पिछली यात्रा के दौरान आई आपदा में 16 यात्रियों की मौत से सबक लेकर एनडीआरएफ ने विशेष तैयारी की है, जिसके तहत उन चोटियों पर नजर रखी जा रही है, जहां पानी का जमाव हो सकता है. एनडीआरएफ के डीजे अतुल करवाल के मुताबिक इंडिया रेस की टीम पहले से ज्यादा संख्या में तैनात होगी, पिछले एक साल में हमने इसे लेकर काफी ट्रेनिंग की है. जम्मू कश्मीर की जो माउंटेन इन की टीम है, उनके साथ हमने ट्रेनिंग की है. मेडिकल की ट्रेनिंग पहले से बेहतर है. उपकरण भी पहले से बेहतर है. 

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7 टीमों में 210 जवान 
उन्‍होंने कहा कि हमारी कुल 7 टीमें जिसमें करीब 210 जवान होंगे. वह चंदनबाड़ी और बालटाल के रास्ते में तैनात होंगे. हम श्रीनगर और उधमपुर में भी दो टीमें रख रहे हैं, ताकि कहीं कोई दिक्कत होने पर इन टीमों को तुरंत तैनाती की जा सके. 

हथियार गिराने के मामले बढ़े
सुरक्षाबलों की चिंता इस नाते भी और बढ़ गई है कि हाल के साल में जम्मू कश्मीर में स्टिकी बम से हमले करने और ड्रोन से हथियार गिराने के मामले बढ़े हैं. अमरनाथ यात्रा का बड़ा हिस्सा दक्षिण कश्मीर से होकर गुजरता है जो आतंकियों का गढ़ रहा है. 

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