जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ की पवित्र गुफा के पास बादल फटने के कारण अचानक आयी बाढ़ के चलते फंसे कम से कम 15,000 तीर्थयात्रियों को यहां निचले आधार शिविर पंजतरणी स्थानांतरित कर दिया गया है. आईटीबीपी के प्रवक्ता ने शनिवार को यह जानकारी दी. प्रवक्ता ने बताया कि आईटीबीपी ने पवित्र गुफा के निचले हिस्से से पंजतरणी तक जाने वाले मार्ग में लगे दलों की संख्या भी बढ़ा दी है.
दक्षिण कश्मीर में अमरनाथ के गुफा मंदिर के पास अचानक आई बाढ़ में शुक्रवार शाम को कम से कम 13 लोगों की जान चली गई और तंबू व सामुदायिक रसोई में पानी भर गया. अब तक इस हादसे में 16 लोगों की जान जा चुकी है.
पवित्र गुफा से आने वाले तीर्थयात्रियों की सहायता के लिए नीलग्राथ हेलीपैड पर बीएसएफ की एक छोटी टीम भी तैनात है. उन्होंने बताया कि शुक्रवार रात पंजतरणी में बनाए गए बीएसएफ शिविर में करीब 150 यात्री रुके थे और शनिवार सुबह 15 मरीजों को हवाई मार्ग के जरिये बालटाल पहुंचाया गया.
Here are the LIVE updates on the Amarnath Cloudburst:
जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने अमरनाथ बादल फटने की घटना पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. मामले की जांच आवश्यक है, सरकार को यह बताने की जरूरत है कि क्या हुआ. हम यह भी उम्मीद करते हैं कि मृतक व्यक्तियों के परिवारों को अच्छा मुआवजा दिया जाएगा. हमें उम्मीद है कि सरकार बताएगी कि क्या हुआ और कैसे हुआ. बेस जिस पर इतनी जोखिम भरी जगह पर टेंट लगाए गए थे, उसकी जांच होनी चाहिए. वहां पहली बार टेंट लगाया गया है. यह एक मानवीय भूल हो सकती है."
लेफ्टिनेंट कर्नल सचिन शर्मा ने कहा कि राहत और बचाव अभियान जारी है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय सेना और राज्य बलों सहित सभी टीमें समन्वय में काम कर रही हैं. बचाव अभियान पूरा करने के लिए समय का अनुमान लगाना मुश्किल है. अब तक 28 घायल रेस्क्यू किए जा चुके हैं, जिनमें से कुछ गंभीर रूप से घायलों को श्रीनगर स्थानांतरित कर दिया गया है. बचाव के लिए वायुसेना और सेना के हेलीकॉप्टरों सहित कुल 8 हेलिकॉप्टर इस्तेमाल में हैं.
जम्मू-कश्मीर एलजी मनोज सिन्हा ने अमरनाथ गुफा के निचले इलाकों में कल बादल फटने की घटना में घायल हुए तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करने के लिए एसकेआईएमएस श्रीनगर का दौरा किया.
बादल फटने की संभावित घटनाओं को देखते हुए रामबन जिले के सभी एसडीएम, तहसीलदारों को हाई अलर्ट पर रहने के आदेश दिए गए हैं.
भारतीय वायु सेना ने अमरनाथ में बचाव और राहत कार्यों के लिए अपनी परिवहन और हेलीकॉप्टर संपत्तियों को सेवा में लगा दिया है. Mi-17V5 हेलीकॉप्टरों ने पंचतरणी में एनडीआरएफ और नागरिक प्रशासन कर्मियों मदद से 21 लोगों को बचाया. हेलीकॉप्टर छह शवों को भी वापस लेकर आया. IAF Mi-17V5 और चीतल हेलीकॉप्टरों द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. जम्मू, कश्मीर और लद्दाख क्षेत्रों में सभी प्रमुख हवाई अड्डों पर विमान स्टैंडबाय पर हैं.
IAF अधिकारी ने बताया कि हादसे का शिकार हुए 29 लोगों को बचाया गया, जिनमें से 9 गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. अन्य लोगों को भी बचाया जा सके इसलिए भारतीय सेना परिष्कृत बचाव उपकरणों और प्रशिक्षित पेशेवरों को साइट पर नियुक्त कर रही है.
एनडीआरएफ डीजी अतुल करवाल ने कहा कि 16 मौतों की पुष्टि हुई है. लगभग 40 अभी भी लापता हैं. भूस्खलन नहीं, लेकिन बारिश जारी है. हालांकि बचाव कार्य में कोई दिक्कत नहीं है. बचाव कार्य में 100 से अधिक बचावकर्मियों के साथ एनडीआरएफ की 4 टीमें लगी हुईं हैं. इसके अलावा, भारतीय सेना, एसडीआरएफ, सीआरपीएफ और अन्य भी बचाव कार्य चला रहे हैं.
नोडल चिकित्सा अधिकारी मेजर पंकज कुमार ने बताया कि लगभग 10 मरीज थे, 2 को सिर में चोट आई, 5 को फ्रैक्चर हुआ और 2-3 हाइपोथर्मिया के मामले हैं. उत्तरी मार्ग पर बादल फटने से प्रभावित क्षेत्रों में बचाव अभियान जारी है.
अमरनाथ यात्रियों पर कई बार बरपा है 'कुदरत का कहर', 1969 में बादल फटने के कारण 100 लोगों की मौत हुई थी. पढ़ें- कब-कब हुआ है हादसा
श्रीनगर में बीएसएफ कश्मीर मुख्यालय से शवों को पुलिस मुख्यालय ले जाया जा रहा है. अब तक 16 शव निकाले जा चुके हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है.