"अंतर सिर्फ मेरा धर्म, नाम...", 2018 के ट्वीट को लेकर गिरफ़्तारी पर कोर्ट में फैक्ट चेकर जुबैर

फैक्ट-चेकर मोहम्मद ज़ुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि ट्वीट मार्च 2018 का है. दिल्ली पुलिस ने मुझ पर हनीमून होटल से हनुमान होटल में नाम एडिट करने का आरोप लगाया. लेकिन सच तो यह है कि यह तस्वीर ऋषिकेश के निर्देशन में बनी एक फिल्म की है.

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नई दिल्ली:

अल्ट न्यूज के संस्थापक मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार करने के बाद दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया. अदालत में दिल्ली पुलिस की तरफ से कहा गया कि जुबैर ने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. जिस ट्वीट की जांच पर दिल्ली पुलिस ने इनको गिरफ्तार किया है.

वहीं जुबैर की ओर से वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि जुबैर फैक्ट चेकर है. सोशल मीडिया पर झूठ का पर्दाफाश करता है. इसलिए बहुत से लोग उसे नापंसद करते हैं. उन्होंने कहा कि जुबैर बैंगलोर में रहता है. उसे दिल्ली पूछताछ के लिए बुलाया गया. नोटिस किसी और केस के लिए दिया गया था और गिरफ्तारी दूसरी केस में हुई है.

ग्रोवर ने कहा कि ट्वीट मार्च 2018 का है. दिल्ली पुलिस ने मुझ पर हनीमून होटल से हनुमान होटल में नाम एडिट करने का आरोप लगाया. लेकिन सच तो यह है कि यह तस्वीर ऋषिकेश के निर्देशन में बनी एक फिल्म की है. जुबैर द्वारा ट्वीट की गई तस्वीर उसी फिल्म की थी. उसने एडिट नहीं किया है.

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जुबैर के वकील ने कहा कि ये ट्वीट कई लोगों ने किए हैं, ये फ़िल्म बैन नहीं हुई थी. मेरे ट्वीट से किसी की भावना आहत नहीं हुई है. जिसने शिकायत की वो 2021 में ट्विटर पर आया.

कोर्ट में ग्रोवर ने कहा कि पुलिस का कहना है कि उन्हें इस ट्वीट के प्रति सचेत किया गया था, लेकिन यह ट्वीट मार्च 2018 का है. धारा 153ए को दो समुदायों की जरूरत है, यहां कौन से दो समुदाय हैं? यह एक ऐसी फिल्म से है जिसे सेंसर बोर्ड ने क्लीयर किया था. पुलिस ने कहा है कि जुबैर ने तस्वीर को एडिट किया है. उन्हें साबित करने दो और मैं साबित कर दूंगा कि तस्वीर एक फिल्म की है और मैंने इसे एडिट नहीं किया है.

जुबैर की तरफ से वकील ने कोर्ट में कहा कि मैं एक फैक्ट चेकर हूं. मैं पत्रकार हूं. मैं एक लोकतांत्रिक देश में अपने मन की बात कहता हूं. मुझे रिमांड कॉपी या एफआईआर की कॉपी नहीं दी गई. वो ट्वीट 2018 से हैं. 2018-2022 के बीच इस ट्वीट की वजह से क्या हुआ है. कई लोगों ने एक ही ट्वीट किया है, उन हैंडल और मुझमें केवल इतना अंतर है कि इसमें मेरा विश्वास, मेरा नाम और मेरा पेशा है.

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ग्रोवर ने कहा कि उन्होंने मेरा फोन जब्त कर लिया है. वह पुलिस को पहले ही बता चुका है कि वह ट्वीट के लिए सिर्फ अपने मोबाइल का इस्तेमाल करता है लैपटॉप का नहीं. उन्हें अब मेरे लैपटॉप की आवश्यकता क्यों है. वे मेरे लैपटॉप की मांग कर रहे हैं, क्योंकि मैं कई चीजों को चुनौती दे रहा हूँ, अगर पुलिस दुर्भावनापूर्ण काम कर रही है तो कोर्ट अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता.

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उन्होंने कहा कि मैं 2018 में एक अलग फोन का इस्तेमाल करता था और मैंने वह फोन खो दिया. यह पहली बार नहीं कह रहा हूं. यह मैं पहले के मामले में हाइकोर्ट के सामने पहले ही कह चुका हूं और मेरे पास खोई हुई रिपोर्ट भी है, मुझे धमकी देकर उन्हें खोया फोन नहीं मिलेगा. उन्हें अब लैपटॉप चाहिए. यह दिल्ली पुलिस द्वारा सत्ता का दुरुपयोग है.

ग्रोवर ने कहा कि ट्वीट मार्च 2018 का है और जून 2022 में पुलिस कार्रवाई कर रही है. इस पर गौर करने की जरूरत है. इस मामले में धारा 153A के लिए हनीमूनर्स और हनुमान भक्त दो समूह नहीं हो सकते हैं. एक पत्रकार का नैतिक कर्तव्य सत्ता से सच बुलवाना है. दिल्ली पुलिस कोर्ट को गुमराह कर रही है. हम न सिर्फ रिमांड का विरोध कर रहे हैं बल्कि जमानत भी मांग रहे हैं.

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वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा कि वह एक फैक्ट चेकर हैं, सिर्फ लोकप्रिय होने के लिए, कुछ धार्मिक समूहों की भावनाओं को भड़का रहे हैं. उन्होंने धार्मिक समूहों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कई ऐसे पोस्ट किए हैं. पुलिस ने कहा कि उन्होंने सहयोग नहीं किया, ट्विटर एप सहित मोबाइल पर सभी एप्लिकेशन भी डिलीट कर दिए.

दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस तरह के पोस्ट के लिए उनके खिलाफ कई एफआईआर हैं, यह एक अपराध है. उनका जानबूझकर किया गया कृत्य रिकॉर्ड में है, जो धार्मिक समूहों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है. हमें उसका लैपटॉप और अन्य चीजों को रिकवर करना है. इसलिए हम उसकी और रिमांड मांग रहे हैं. सिर्फ एक ही ट्वीट नहीं है बल्कि और भी किए गए हैं, उदहारण के तौर पर एक ट्वीट है. हनुमान की पूजा करो तो बंदर आपको परेशान नहीं करेंगे.

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दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से 5 दिन की रिमांड मांगी है.

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