H3N2 वायरस में वैसे ही लक्षण जैसे हम कोविड में देखते हैं: डॉक्टर 

डॉ. सुरेश ने कहा, "H3N2 वायरस अधिकांश रोगियों में बुखार, खांसी और सांस फूलने का कारण बनता है, जो एक से दो सप्ताह तक रहता है. इसके विपरीत कोविड में बुखार, खांसी और सांस फूलना तीन से पांच दिनों तक बना रहता है." 

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H3N2 वायरस अधिकांश रोगियों में बुखार, खांसी और सांस फूलने का कारण बनता है. (प्रतीकात्मक)
नई दिल्ली :

कोरोना के बाद अब एक नए सब वेरियंट H3N2 का खतरा बढ़ता जा रहा है क्योंकि यह वायरस तेजी से पूरे देश में फैल रहा है और इसके मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं. हालांकि अभी तक लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल (Lok Nayak Jai Prakash Narayan hospital) में वायरस का एक भी मामला सामने नहीं आया है, लेकिन इस बीच कोरोना का खतरा भी बढ़ने लगा है. अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर सुरेश कुमार ने बताया, 'LNJP अस्पताल में एक भी H3N2 का मरीज नहीं है, लेकिन हाल ही में कोरोना के दो मरीज आए हैं जो अस्पताल में भर्ती हैं और उनका इलाज चल रहा है.'

डॉ. सुरेश ने कहा, 'H3N2 इन्फ्लुएंजा ए वायरस का सबवैरिएंट है. वर्तमान में हमारे पास इस वायरस का कोई भी रोगी नहीं है. इसके लक्षण वही हैं जो हम कोविड में देखते हैं जैसे बुखार, खांसी और सांस फूलना.'

उन्होंने कहा, "H3N2 वायरस अधिकांश रोगियों में बुखार, खांसी और सांस फूलने का कारण बनता है, जो एक से दो सप्ताह तक रहता है. इसके विपरीत, यदि कोविड वायरस के मामलों को देखते हैं तो इन मामलों में बुखार, खांसी और सांस फूलना होता है और यह तीन से पांच दिनों तक बना रहता है." 

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उन्होंने कहा, "कोविड रोगी तेजी से ठीक हो जाते हैं क्योंकि भारत सरकार के मजबूत टीकाकरण कार्यक्रम द्वारा अधिकांश भारतीय आबादी पहले से ही टीका लगा चुकी है. हमें पिछले महीने कोई भी कोविड-संबंधी रोगी नहीं दिखाई दे रहे हैं, लेकिन बढ़ती पॉजिटिविटी रेट के कारण हमारे पास केवल एक मां और बच्चे को दो दिन पहले भर्ती कराया गया था और ये दोनों मरीज भी ठीक होने की राह पर हैं."

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डॉ. सुरेश ने आगे कहा, "हमारे पास पहले से ही 450 बेड और एच3एन2 के लिए 20 बेड हैं. इसमें आईसीयू बेड और वेंटिलेटर बेड शामिल हैं. हमारे पास बुनियादी ढांचा हैं, यह राष्ट्रीय राजधानी में सबसे बड़ी कोविड सुविधा है. इसलिए अभी इसकी डरने की कोई जरूरत नहीं है."

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उन्होंने कहा, "हमारे पास दवा का पर्याप्त भंडार है जो H3N2 के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है और हमने अपने कर्मचारियों, नर्सों और सभी तकनीकी कर्मचारियों को इस वायरस के लिए प्रशिक्षित किया है. हमने आईसीएमआर और भारत सरकार के दिशानिर्देशों को भी प्रसारित किया है कि कैसे अगर कोई मामला सामने आता है तो इस वायरस से निपटें."

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डॉ. सुरेश ने कहा, "यह वायरस मुख्य रूप से उन रोगियों को संक्रमित करता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, जिनमें बुजुर्ग लोग और बच्चे शामिल हैं. उनमें संक्रमण की संभावना बहुत अधिक होती है. हमने इस H3N2 वायरस के लिए आरटी पीसीआर परीक्षण भी शुरू कर दिया है."

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