कर्नाटक में फिर से "40% कमीशन सरकार" का आरोप, लेकिन अब निशाने पर नेता नहीं

ठेकेदारों के संगठन के सदस्यों ने दावा किया कि जब तक रिश्वत नहीं दी जाती, अधिकारी काम का आदेश जारी नहीं करते या फिर भुगतान नहीं करते

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कांग्रेस ने ठेकेदारों के संगठन से भ्रष्टाचार के सबूत पेश करने को कहा है (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

कर्नाटक में अफसरों पर भ्रष्टाचार का आरोप फिर से जोर पकड़ रहा है. ठेकेदारों के एक संगठन ने राज्य में बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के कार्यकाल दे दौरान आरोप लगाया था कि सरकार की सार्वजनिक परियोजनाओं के कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने के लिए 40 प्रतिशत कमीशन देना पड़ता है. पिछले साल कर्नाटक में सत्तासीन हुई कांग्रेस सरकार पर भी ठेकेदारों ने यही आरोप लगाया है. हालांकि इसमें एक ट्विस्ट है. ठेकेदारों के एसोसिएशन ने कहा है कि नेताओं की जगह अब ब्यूरोक्रेट पैसा कमाने के लिए ऐसा कर रहे हैं.

साल 2022 में एसोसिएशन के आरोपों को लेकर कांग्रेस ने कर्नाटक की तत्कालीन बीजेपी सरकार को '40% सरकार' करार दिया था. पार्टी ने QR कोड के साथ '40% सरकार' वेबसाइट के लिए एक 'PayCM' अभियान भी शुरू किया था. इसमें आरोप लगाया गया था कि बीजेपी सरकार पब्लिक प्रोजेक्टों पर 40 फीसदी कमीशन ले रही है.

कांग्रेस के इन आरोपों ने ही पिछले साल मई में कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों में से 135 सीटें जीतकर उसकी सत्ता में वापसी में अहम भूमिका निभाई थी. अब सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार के खिलाफ यह दावे लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले सामने आए हैं.

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कर्नाटक राज्य ठेकेदार संघ के अध्यक्ष डी केम्पन्ना ने आरोप लगाया है कि सरकारी ठेकों के लिए 40 प्रतिशत रिश्वत का चलन कांग्रेस शासन में भी जारी है. उन्होंने राज्य सरकार के अधिकारियों पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पहले (पिछली बीजेपी सरकार के दौरान) नेता रिश्वत मांग रहे थे, अब इनकी बारी है.

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डी केम्पन्ना ने दावा किया है कि, ‘‘कर्नाटक में अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार जारी है. अब तक किसी भी विधायक, सांसद या मंत्री ने हमसे पैसे नहीं मांगे हैं. पहले विधायक हमें काम का ठेका देने के लिए एक निश्चित राशि मांगते थे, अब ऐसी स्थिति नहीं है. अधिकारी आते हैं और पूछते हैं- अगर आपको काम चाहिए तो पैसे दो.''

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उन्होंने कहा कि, ‘‘जब हम पूछते हैं कि पैसा किसे दिया जाना चाहिए, तो वे (अधिकारी) कहते हैं - आप यह (जानना) क्यों चाहते हैं? यदि आप काम चाहते हैं, तो पैसा दें.''

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रिश्वत मांगने वाले अफसरों की पहचान जाहिर करने के संबंध में केम्पन्ना ने कहा, ‘‘मैं पहले से ही मानहानि के पांच मामलों का सामना कर रहा हूं, इसलिए मैं अभी अधिकारियों के नाम उजागर नहीं करना चाहता. ऐसे अधिकारी सभी विभागों में हैं.''

ठेकेदारों के संगठन के अन्य सदस्यों ने भी आरोप लगाया है कि जब तक रिश्वत नहीं दी जाती तब तक अधिकारी काम का आदेश जारी नहीं करते हैं या पैसे का भुगतान नहीं करते हैं. उन्होंने यह भी दावा किया है कि स्थानीय ठेकेदारों को नजरअंदाज करते हुए ब्यूरोक्रेटों की करीबी एजेंसियों से "पैकेज डील" की जाती है.

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने कॉन्ट्रेक्टर एसोसिएशन से सिर्फ आरोप नहीं लगाने, बल्कि सबूत देने के लिए कहा है.

कर्नाटक के उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने कहा, "वे (केम्पन्ना) विभाग बताएं... बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका या बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के खिलाफ तथ्य पेश करें... और सिर्फ बयान नहीं दें. अगर कुछ भी है, मुख्यमंत्री इसकी जांच कराएंगे.''

दूसरी ओर बीजेपी ने कहा है कि "असली भ्रष्टाचार" अब उजागर हुआ है. बीजेपी विधायक सीएन अश्वथ नारायण ने कहा, कांग्रेस पार्टी ने हमारी सरकार पर झूठे आरोप लगाए. अब असली भ्रष्टाचार तो कांग्रेस सरकार में हो रहा है. ”

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