रामभद्राचार्य के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री 48 घंटे में हटाएं... हाईकोर्ट ने मेटा को दिया सख्त निर्देश

जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस प्रशांत कुमार की डबल बेंच ने स्वामी रामभद्राचार्य के अनुयायियों और शिष्यों द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को आपत्तिजनक सामग्री से संबंधित URL लिंक उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रामभद्राचार्य के खिलाफ अपमानजनक सामग्री हटाने का आदेश दिया है.
  • कोर्ट ने मेटा प्लेटफॉर्म्स को 48 घंटे में फेसबुक और इंस्टाग्राम से आपत्तिजनक सामग्री हटाने का निर्देश दिया है
  • याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सोशल मीडिया पर स्वामी रामभद्राचार्य के खिलाफ अपमानजनक वीडियो अपलोड किया गया था.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
लखनऊ:

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य के खिलाफ सोशल मीडिया पर प्रसारित अपमानजनक सामग्री को हटाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने फेसबुक और इंस्टाग्राम का संचालन करने वाली कंपनी मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक को 48 घंटे के भीतर यह आपत्तिजनक सामग्री हटाने का आदेश दिया है.

48 घंटे में हटाने का निर्देश

जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस प्रशांत कुमार की डबल बेंच ने स्वामी रामभद्राचार्य के अनुयायियों और शिष्यों द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को आपत्तिजनक सामग्री से संबंधित URL लिंक उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है. मेटा की ओर से पेश हुए वकील ने दलील दी कि कंपनी केवल विशिष्ट URL लिंक मिलने के बाद ही हानिकारक वीडियो के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है.

क्या है मामला?

याचिकाकर्ताओं (शरद चंद्र श्रीवास्तव, राजीव नयन लूथरा, एडवोकेट जया राय व अन्य) ने सितंबर में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि केंद्र और राज्य सरकारों से शिकायत करने के बावजूद अपमानजनक सामग्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई.

याचिका में आरोप लगाया गया कि गोरखपुर के एक यूट्यूबर शशांक शेखर और एक अन्य व्यक्ति ने 29 अगस्त 2025 को अपने यूट्यूब चैनल, फेसबुक और इंस्टाग्राम सहित अन्य सोशल मीडिया हैंडल पर "रामभद्राचार्य पर खुलासा, 16 साल पहले क्या हुआ था" शीर्षक से एक दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक वीडियो अपलोड किया था. याचिका में कहा गया है कि वीडियो में दृष्टिबाधित स्वामी जी को निशाना बनाया गया था और इसमें अपमानजनक व वीभत्स खबरें शामिल थीं.

कोर्ट का पिछला आदेश

याचिका पर 17 सितंबर को हुई पिछली सुनवाई में, जस्टिस संगीता चंद्रा और जस्टिस बृज राज सिंह की डबल बेंच ने प्रथम दृष्टया पाया था कि यूट्यूबर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए संलग्न स्क्रीनशॉट और वीडियो पर्याप्त थे. उस समय कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक, इंस्टाग्राम, गूगल, यूट्यूब) के शिकायत निवारण अधिकारियों को औपचारिक शिकायत देने का निर्देश दिया था, ताकि IT नियम, 2021 के अनुसार सामग्री को तत्काल हटाया जा सके.

दीपक गंभीर के इनपुट के साथ

Featured Video Of The Day
Bihar Elections में किन 25 लोगों को Congress ने Ticket देकर बिगाड़ दिया NDA का खेल! | Bole Bihar