प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजधानी दिल्ली में आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर आयोजित ‘आतंक के लिए कोई धन नहीं' (नो मनी फॉर टेरर) मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भाषण देते हुए कहा कि "यह अद्भुत है कि यह सम्मेलन भारत में हो रहा है." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दशकों से अलग-अलग रूपों में आतंकवाद ने भारत को चोट पहुंचाने की कोशिश की जिसकी वजह से हमने हजारों कीमती जानें गंवाईं. लेकिन हमने आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया. आतंकवाद का दीर्घकालिक प्रभाव गरीबों और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर होता है,चाहे फिर वह पर्यटन हो या व्यापार. कोई भी उस इलाके को पसंद नहीं करता जहां लगातार खतरा बना रहता है. इसकी वजह से वहां के लोगों की आजीविका पर भी असर पड़ता है. इसलिए यह अहम है कि हम आतंवाद की जड़ों पर हमला करें.
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पीएम ने आगे कहा कि आतंकवाद को खत्म करने के लिए एक व्यापक, सक्रिय, व्यवस्थित प्रतिक्रिया की जरूरत है. अगर हम चाहते हैं कि हमारे नागरिक सुरक्षित रहें, तो हम तब तक इंतजार नहीं कर सकते जब तक कि आतंक हमारे घरों में न आ जाए. हमें आतंकवादियों के वित्त पर चोट करनी चाहिए. कुछ देश अपनी विदेश नीति के तहत आतंकवाद का समर्थन करते हैं. वे उन्हें राजनीतिक, वैचारिक और वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं. अंतरराष्ट्रीय संगठन को यह नहीं सोचना चाहिए कि युद्ध की अनुपस्थिति का अर्थ शांति है. यह महत्वपूर्ण है कि हम संयुक्त रूप से कट्टरवाद और उग्रवाद की समस्या का समाधान करें. कट्टरवाद का समर्थन करने वाले का किसी भी देश में कोई स्थान नहीं होना चाहिए.
यह तीसरा मंत्री स्तरीय सम्मेलन है. इससे पहले यह सम्मेलन अप्रैल 2018 में पेरिस में और नवंबर 2019 में मेलबर्न में आयोजित किया गया था. सम्मेलन में दुनिया भर के लगभग 450 प्रतिनिधि ने भाग लिया है इनमें मंत्री, बहुपक्षीय संगठनों के प्रमुख और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख शामिल हैं. इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर मौजूदा अंतरराष्ट्रीय शासन की प्रभावशीलता के साथ-साथ उभरती चुनौतियों के समाधान के लिए आवश्यक कदमों पर विचार-विमर्श करने के लिए किया गया है.