हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में कांग्रेस सरकार पर संकट फिलहाल के लिए टल गया है. राज्य की एकमात्र राज्यसभा सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस (Congress) के 6 विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर बीजेपी के लिए क्रॉस वोटिंग (Cross Voting) की थी. इसके बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) सरकार के गिरने का खतरा बढ़ गया था. हालांकि, ऐन वक्त पर कांग्रेस के 'चाणक्य' और 'संकटमोचक' माने जाने वाले कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने हालात संभाल लिया. डीके शिवकुमार (DK Shivakumar)ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और विधायकों के बीच सारे मतभेद सुलझा लिए गए हैं. सुखविंदर सिंह सुक्खू सीएम बने रहेंगे. प्रदेश में ऑपरेशन लोटस फेल हो गया है. हमारे लिए अब लोकसभा चुनाव प्राथमिकता है.
मौजूदा सियासी संकट को सुलझाने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंदर सिंह हुडा को ऑब्जर्वर बनाया था. दोनों नेताओं ने शिमला में वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह और उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह से बात की. इसके बाद गुरुवार 29 फरवरी की शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. इसमें कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और हिमाचल सीएम सुखविंदर सुक्खू शामिल थे. शिवकुमार ने कहा, "हरियाणा में सब ठीक है. सुक्खू सरकार पूरे 5 साल चलेगी. कुछ मुद्दे थे, जिन्हें सुलझा लिया गया है."
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम सुक्खू ने कहा, ''मैं मानता हूं कि मैं असफल रहा. लेकिन ये खुफिया विफलता भी थी. हमें नहीं पता था कि बीजेपी हमारे विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है.''
प्रदेश कांग्रेस के एक धड़े ने सीएम सुक्खू पर आरोप लगाया था कि वह अपने मंत्रियों और विधायकों को एक साथ रखने में नाकाम रहे. इसके बाद दिक्कतें बढ़ी. इससे पहले लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी सीएम सुक्खू पर विधायकों के प्रति लापरवाही का रवैया अपनाने का आरोप लगाया था.
स्पीकर ने कांग्रेस के 6 विधायकों को दिया अयोग्य करार
वहीं, क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के 6 बागी विधायकों को स्पीकर ने अयोग्य करार दिया है. बजट सेशन के दौरान सदन में मौजूद न रहने पर स्पीकर पठानिया ने गुरुवार सुबह इन्हें विधानसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराया था. बागी विधायकों ने अपनी सदस्यता रद्द करने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
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कांग्रेस सरकार के गिरने का खतरा टला
स्पीकर के इस फैसले के बाद हिमाचल की कांग्रेस सरकार के गिरने का खतरा टल गया है. हिमाचल में कुल 68 विधायक हैं. इस फैसले के बाद कांग्रेस के पास अब 34 MLA बचे हैं. बीजेपी के 25 विधायक हैं, जबकि 3 निर्दलीय हैं.
विक्रमादित्य और उनके खेमे ने की बगावत तो होगी मुसीबत
अगर 3 निर्दलीय बीजेपी के साथ चले जाते हैं, तो उनकी संख्या 28 हो जाएगीय अगर फ्लोर टेस्ट की नौबत आई तो कांग्रेस सरकार आसानी से बहुमत साबित कर लेगी. हालांकि, अगर आगे विक्रमादित्य और उनका खेमा बगावत करता है, तो सुक्खू सरकार फिर से खतरे में आ सकती है.
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