सुप्रीम कोर्ट की समिति में चुने गए चारों सदस्‍यों ने किया था कृषि कानूनों का समर्थन

अपने आदेश में SC ने कहा है, 'समिति कृषि कानूनों (Farm laws) से संबंधित किसानों की शिकायतों को सुनेगी और सरकार के विचारों को भी जानेगी और अपनी सिफारिशें देगी.'

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कृषि कानूनों को निरस्‍त करने की मांग को लेकर किसान दिल्‍ली में मोर्चा डाले हुए हैं (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली:

Kisan Aandolan: किसानों के मौजूदा आंदोलन के समाधान में मदद के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की ओर से नियुक्‍त चार सदस्‍यीय समिति पूर्व में किसान कानून का समर्थन कर चुकी  हैं, NDTV की तफ्तीश में यह बात सामने आई है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में समिति के सदस्‍यों नामों को घोषणा की गई है, संसद में सितंबर माह में पारित कृषि कानूनों की चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह व्‍यवस्‍था दी है. अपने आदेश में SC ने कहा, 'समिति कृषि कानूनों (Farm laws) से संबंधित किसानों की शिकायतों को सुनेगी और सरकार के विचारों को भी जानेगी और अपनी सिफारिशें देगी.' सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, यह समिति न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा होगी. समिति यह बताएगी कि किन प्रावधानों को हटाया जाना चाहिए, फिर वो कानूनों से निपटेगा. हम यह चाहते हैं कि कोई जानकार व्यक्ति ( कमेटी) किसानों से मिले और पॉइंट के हिसाब से बहस करें कि दिक्कत कहां है.' 

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  किसानों के समूह ने कहा है कि वे समिति को स्‍वीकार नहीं करेंगे तथा इसके सदस्‍यों से कोई बात नहीं करेंगे. उनका कहना है कि समिति और इसके सदस्‍य किसान कानूनों के समर्थन में हैं. पंजाब की किसान यूनियन ने कहा, 'हम इस कमेटी को स्‍वीकार नहीं करते. इस समिति के सभी सदस्‍य सरकार समर्थक हैं और किसान कानूनों को न्‍यायोचित ठहरा रहे हैं.' समिति के सदस्‍यों में भारतीय किसान यूनियन के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष भूपिंदर सिंह मान, इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्‍टीट्यूट के साउथ एशिया डायरेक्‍टर डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और शेतकरी संगठन के प्रमुख अनिल घनवत (वे मीडिया में लिखे अपने लेखों में किसान कानूनों के पक्ष में राय दी थी) शामिल हैं. गुलाटी वर्ष 1999 से 2001 तक प्रधानमंत्री सलाहकार परिषद (Prime Minister's Economic Advisory Council) रह चुके हैं. वे भी राष्‍ट्रीय अखबारों में लिखे अपने लेखों में कृषि कानूनों की पक्ष में राय जता चुके हैं. उदाहरण के तौर पर, दिसंबर में टाइम्‍स ऑफ इंडिया से बातचीत में उन्‍होंने कहा था कि तीनों कृषि कानून किसानों को लाभ पहुंचाएंगे.

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अनिल घनवत शेतकरी संगठन के अध्‍यक्ष हैं, यह समूह कृषि कानूनों की खुशी मनाई थी. घनवत ने मंगलवार को एनडीटीवी से कहा, किसानों को अपने उत्‍पाद मार्केट में भी बेचने का हक मिलना चाहिए. इसी तरीह मान किसानों के उस समूह का हिस्‍सा थे जिसने दिसंबर में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भेंट की थी और नए कानूनों को लेकर समर्थन जताया था. समिति के चौथे सदस्‍य डॉ. प्रमोद कुमार जोशी नए कानूनों के समर्थन में कई आर्टिकल लिख चुके हैं. 

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