केरल में West Nile Fever का खतरा, सभी जिलों में हाई अलर्ट

वेस्ट नाइल वायरस से घातक ‘न्यूरोलॉजिकल' रोग हो सकता है. राज्य स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, यह मुख्य रूप से संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है.

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वेस्ट नाइल वायरस से घातक ‘न्यूरोलॉजिकल' रोग हो सकता है.
तिरुवनंतपुरम:

केरल सरकार ने मंगलवार को कहा कि राज्य के त्रिशूर, मलप्पुरम और कोझिकोड़ जिलों से वेस्ट नाइल बुखार के मामले सामने आए हैं. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने एक बयान में पुष्टि की कि राज्य में वायरल संक्रमण के मामले सामने आए हैं और सभी जिलों को सतर्क रहने को कहा गया है.

बयान में कहा गया है कि ‘क्यूलेक्स' प्रजाति के मच्छरों द्वारा फैलने वाले वायरल बुखार के प्रति सतर्कता बरतते हुए मंत्री ने आदेश दिया है कि मच्छरों के प्रजनन स्थलों को नष्ट करके उनके नियंत्रण के लिए कदम उठाए जाएं.

मंत्री ने कहा कि चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने बुखार या वेस्ट नाइल संक्रमण के अन्य लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज कराने का अनुरोध किया.

उन्होंने कहा कि वेस्ट नाइल संक्रमण के मुख्य लक्षण सिरदर्द, बुखार, मांसपेशियों में दर्द, चक्कर आना और याददाश्त कमजोर होना हैं, लेकिन अधिकांश रोगियों को इनका अनुभव नहीं होता.

बयान में कहा गया है कि जापानी ‘एन्सेफलाइटिस' की तुलना में वेस्ट नाइल में मृत्यु दर अपेक्षाकृत कम है लेकिन जापानी ‘एन्सेफलाइटिस' में भी समान लक्षण दिखते हैं और यह अधिक खतरनाक होता है.

मंत्री ने कहा कि चूंकि वेस्ट नाइल वायरस के इलाज के लिए कोई दवा या टीका उपलब्ध नहीं है, इसलिए लक्षणों का उपचार और रोकथाम महत्वपूर्ण है.

उन्होंने निवारक उपायों के तहत शरीर को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े पहनने, मच्छरदानी और ‘रिपेलेंट' का उपयोग करने और अपने घर व आसपास को साफ रखने का सुझाव दिया.इससे पहले मंगलवार को ही कोझिकोड़ जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों ने वेस्ट नाइल बुखार के पांच मामलों की पुष्टि की.

जिला निगरानी टीम के एक अधिकारी ने कहा कि बच्चों समेत सभी संक्रमित व्यक्ति अब ठीक हैं और अपने घर चले गए हैं. अधिकारी ने बताया कि जिन इलाकों में वे रहते हैं, वहां से कोई नया मामला सामने नहीं आया है.

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उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल एक व्यक्ति के मच्छर जनित संक्रमण से पीड़ित होने का संदेह है और उसका इलाज किया जा रहा है. अधिकारी ने कहा कि लक्षण दिखने पर इलाज कराने वाले व्यक्तियों के नमूने नियमित प्रक्रिया के तहत पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान भेजे गए थे. उन्होंने कहा, “रिपोर्ट आ गई हैं और संकेत मिला है कि वे वेस्ट नाइल बुखार से पीड़ित थे. वे सभी अब बेहतर हैं.”

वेस्ट नाइल बुखार क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छरों से फैलता है. युगांडा में 1937 में पहली बार इसका पता चला था. केरल में 2011 में पहली बार बुखार का पता चला था और मलप्पुरम के छह वर्षीय लड़के की 2019 में बुखार के कारण मृत्यु हो गई थी. इसके बाद मई 2022 में त्रिशूर जिले में बुखार से 47 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई थी.

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वेस्ट नाइल वायरस से घातक ‘न्यूरोलॉजिकल' रोग हो सकता है. राज्य स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, यह मुख्य रूप से संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है.


 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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