उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ लोकसभा सीट पर बीजेपी और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के बीच कड़ा सियासी मुकाबला देखने को मिल रहा है. इस सीट की खास बात ये है कि बीजेपी और इंडिया गठबंधन दोनों उम्मीदवार अपने को कल्याण सिंह का नजदीकी बता रहे हैं. अलीगढ़ सीट से बीजेपी ने सतीश गौतम को तीसरी बार चुनावी मैदान में उतारा है. जबकि इंडिया गठबंधन ने भूपेन्द्र चौधरी को टिकट दिया है. वहीं इस सीट से बीएसपी ने ब्राह्मण उम्मीदवार हितेंद्र उपाध्याय को खड़ा करके बीजेपी के वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है.
राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री मोदी ने सतीश गौतम के लिए रैली की हैं और लोगों से वोट मांगे हैं. सतीश गौतम लगातार दो बार दो लाख के अंतर से अपने विरोधियों को हराते रहे हैं. लेकिन इस बार स्थानीय वोटरों की उदासीनता और कल्याण सिंह के परिवार से उनके मतभेद इलाके में चर्चा का विषय बनाया हुआ है. हालांकि सतीश गौतम कहते हैं कि वो कल्याण सिंह की उंगली पकड़ ही राजनीति में चले हैं. उन्होंने कहा " कल्याण सिंह के परिवार या राजू भैय्या से मेरी कोई मतभेद नहीं है. मैं तो उनकी उंगली पकड़ कर राजनीति में आया हूं. ये सब विरोधियों द्वारा फैलाया जा रहा है"
अलीगढ़ की राजनीति पर कल्याण सिंह की सियासी प्रतिष्ठा इसी से आंकी जा सकती है कि बीजेपी प्रत्याशी ही नहीं इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी चौधरी बिजेंदर सिंह भी अपने को कल्याण सिंह का भतीजा बताते हैं. इस इलाक़े में बिजेंदर सिंह जाटों के पुराने नेता माने जाते हैं. चौधरी बिजेंदर ने कहा कल्याण का भतीजा कौन मैं हूं, बाबू जी जब तक ज़िंदा रहे सतीश गौतम एक बार भी उनके घर नहीं गए.
दरअसल बुलंदशहर, एटा, हाथरस जैसी लोकसभा सीटों के सियासी समीकरण बनाने और बिगाड़ने में कल्याण सिंह फ़ैक्टर बहुत अहम है. कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह अंतरौली से विधायक और उनके बेटे राजवीर एटा से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
बता दें बीजेपी नेता कल्याण सिंह दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं.
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