दिल्ली और एनसीआर की वायु गुणवत्ता सुधारने को लेकर पिछले कुछ सालों में चाहे जितनी चीख पुकार मचती रही हो, लेकिन सारी कवायद बेकार रही है. केंद्र का राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम (NCAP) इसकी हकीकत बयां कर रहा है. तीन साल पहले शुरू हुई इसकी कवायद के बाद भी दिल्ली और उसके पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के जिले गाजियाबाद में वायु प्रदूषण की स्थिति सबसे गंभीर है. रिपोर्ट के मुताबिक तीन साल के दौरान औसत रूप से गाजियाबाद देश का सर्वाधिक प्रदूषित शहर रहा, तो दिल्ली दूसरे नंबर पर है.देश भर में इस कवायद की शुरुआत वर्ष 2019 में की गई थी ताकि 132 शहरों में वायु प्रदूषण के सबसे खतरनाक कणों पार्टीकुलेट मैटर (पीएम) के स्तर में वर्ष 2024 तक 20 से 30 फीसदी तक कमी की जा सके. लेकिन उल्टे कई शहरों में पीएम स्तर बढ़ गया. एनसीएपी ट्रैकर से यह सच्चाई सामने आई है.
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न्यूज पोर्टल ‘कार्बन कॉपी' और महाराष्ट्र के स्टार्टअप ‘रेस्पीरर लिविंग साइंसेज' के संयुक्त प्रयास से इस ट्रैकर को बनाया गया है. इस ट्रैकर से पता चलता है कि देश भर में यूपी के शहर गाजियाबाद की वायु गुणवत्ता 132 शहरों में सबसे खराब रही. पीएम 2.5 और पीएम 10 के सर्वाधिक स्तर के साथ गाजियाबद सर्वाधिक प्रदूषित शहर पाया गया. वायु में पीएम 2.5 के स्तर के लिहाज से दिल्ली देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा, हालांकि पीएम 10 के स्तर के लिहाज से दिल्ली चौथा सर्वाधिक प्रदूषित शहर था. लगातार प्रयास के बावजूद दिल्ली की हवा में पीएम स्तर में बेहद मामूली कमी आ सकी. डेटा के आधार पर दिल्ली का पीएम 2.5 स्तर 2019 में 108 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से गिरकर 2021 में 102 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया.
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इसका पीएम 10 स्तर 217 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से घटकर 207 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया. तीन साल की अवधि के दौरान दिल्ली का पीएम 2.5 स्तर सीपीसीबी की सुरक्षित सीमा 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से 2.5 गुना और डब्ल्यूएचओ की पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से 20 गुना अधिक है.'तीन साल के अध्ययन के अनुसार गाजियाबाद वर्ष 2020 को छोड़कर 100 से अधिक सालाना पीएम 2.5 स्तर के साथ सबसे प्रदूषित शहरों में शीर्ष पर रहा. हालांकि, वर्ष 2020 में लखनऊ 116 के वार्षिक पीएम 2.5 स्तर के साथ पहले स्थान पर रहा था.
नोएडा, दिल्ली, मुरादाबाद और जोधपुर में पीएम 2.5 के स्तर में केवल मामूली गिरावट देखी गई और यह पूरे वर्ष शीर्ष 10 प्रदूषित गैर-प्राप्ति शहरों में शामिल रहे. वाराणसी पीएम 2.5 के स्तर में भारी गिरावट के साथ वर्ष 2019 में पांचवीं रैंक से 2021 में 37 वें स्थान पर चला गया. रिपोर्ट के अनुसार एनसीएपी के तहत वर्ष 2018-19 से 2020-2021 के दौरान 114 शहरों को 375.44 करोड़ रुपये और 2021-2022 के लिए 82 शहरों को 290 करोड़ रुपये दिए गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्यक्रम में 2021-2026 के लिए 700 करोड़ रुपये का आवंटन सुनिश्चित किया गया है.