दिल्ली ( DELHI) में 2013 के बाद से ही नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का वार्षिक औसत स्तर तय सीमा से अधिक बना हुआ है. वायु प्रदूषण (Air Pollution) नीति निगरानी मंच एनसीएपी ट्रैकर के एक नए विश्लेषण में यह बात सामने आई है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राष्ट्रीय राजधानी के लिए नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का वार्षिक औसत स्तर 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तय किया है. सीपीसीबी के मुताबिक हवा में नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का स्तर इससे अधिक होना वायु की गुणवत्ता के लिए खराब माना गया है. एनसीएपी ट्रैकर की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2013 से 2020 के दौरान दिल्ली में नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का वार्षिक औसत स्तर 61 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से 73 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच रहा है जोकि तय सीमा से काफी अधिक है.
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राष्ट्रीय राजधानी में 2020 में नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का वार्षिक औसत स्तर 61 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा, जो पिछले आठ वर्षों के दौरान सबसे कम रहा है. इससे पता चलता है कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर लागू किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बावजूद नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का वार्षिक औसत स्तर तय सीमा से अधिक रहा. 2020 में लॉकडाउन के दौरान देश में यातायात के तमाम साधन, औद्योगिक इकाईयां करीब तीन महीने के लिए बंद रही थीं. नाइट्रोजन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन वाली तमाम गतिविधियों के बंद होने के बावजूद इसका वार्षिक औसत स्तर तय सीमा से अधिक होना गंभीर चिंता का विषय है.
गौरतलब है कि नाइट्रोजन ऑक्साइड्स जहरीली और अत्यधिक प्रतिक्रियाशील गैसों का एक परिवार है, जो उच्च तापमान पर ईंधन को जलाने से बनती हैं. नाइट्रोजन ऑक्साइड्स का प्रदूषण ऑटोमोबाइल, ट्रक, निर्माण उपकरणों और नौकाओं द्वारा होता है. नाइट्रोजन ऑक्साइड्स परिवार की गैसें स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं.
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