टिहरी-लेह, वायनाड के बाद अब सिक्किम में लैंडस्लाइड, ये कुदरत का कहर या भविष्य के लिए कोई चेतावनी?

करीब तीन हफ्ते पहले केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड ने कहर बरपाया था. अब सिक्किम में लैंडस्लाइड डिजास्टर एक चेतावनी है कि आपदा का खतरा बड़ा हो रहा है और इससे निपटने की चुनौती भी.

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गंगटोक:

पूर्वी सिक्किम में मंगलवार को हुए लैंडस्लाइड (Landslide) को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है. सिंगताम जिले में हुए लैंडस्लाइड में NHPC के तीस्ता प्रोजेक्ट का एक हिस्सा पूरी तरह से बर्बाद हो गया. जिसके बाद पावर स्टेशन को अस्थाई तौर पर बंद कर दिया गया है. नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने मंगलवार को इसे लेकर एक इमरजेंसी मीटिंग की. सिक्किम डिज़ास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के वाइस चेयरमैन डॉ. विनोद शर्मा के मुताबिक, सिक्किम समेत पूरे हिमालय क्षेत्र में क्लाइमेट चेंज की वजह से लैंडस्लाइड डिजास्टर (Landslide Disaster) का खतरा बढ़ता जा रहा है. बता दें कि देश में साल में औसतन 30,000 से ज़्यादा लैंडस्लाइड डिजास्टर  हो रहे हैं.

पूर्वी सिक्किम में आये लैंडस्लाइड की घटनाएं देश में आपदा के बढ़ते खतरे की चेतावनी है. नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की मीटिंग के बाद सिक्किम आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के उपाध्यक्ष डॉ. विनोद शर्मा ने NDTV से कहा, "जिस इलाके में NHPC का प्रोजेक्ट है, वहां भयंकर लैंडस्लाइड डिजास्टर से पहले काफी ज्यादा बारिश हुई थी. लैंडस्लाइड में हालांकि, अभी तक एक भी मौत की खबर नहीं है. लेकिन, NHPC के तीस्ता प्रोजेक्ट को भारी नुकसान पहुंचा है. सभी प्रभावित परिवारों और  NHPC के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे मजदूरों को रिलीफ कैंप में शिफ्ट किया गया है".

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विनोद शर्मा के मुताबिक, क्लाइमेट चेंज (Climate Change) की वजह से सिक्किम में बारिश की तीव्रता बढ़ी है. इससे  मिट्टी का कटाव यानी Soil Erosion तेज़ी से हो रहा है. इसलिए लैंडस्लाइड की संख्या बढ़ती जा रही है.

विनोद शर्मा ने कहा, "सिक्किम समेत पूरे हिमालय क्षेत्र में लैंडस्लाइड की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. एक साल में औसतन करीब 20,000 छोटे बड़े लैंडस्लाइड की घटनाएं रिकॉर्ड की जा रही हैं. अगर आप वेस्टर्न घाट (Western Ghats) को जोड़ लें, तो देश में हर साल औसतन करीब 30,000 छोटी-बड़ी लैंडस्लाइड की घटनाएं हो रही है".

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विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जीतेंद्र सिंह ने लोकसभा में 31 जुलाई 2024 को दिए एक लिखित जवाब में कहा था: 'Geological Survey of India ने अप्रैल 2017 से जुलाई 2024 के बीच उत्तर-पूर्वी राज्यों में हुए 592 लैंडस्लाइड से जुड़ा डेटा कलेक्ट किया है. इन आंकड़ों के एनालिसिस से लैंडस्लाइड की फ्रीक्वेंसी में कोई फिक्स्ड ट्रेंड नहीं दिखता है. लैंडस्लाइड की घटनाओं के ट्रेंड के बारे में निर्णायक रूप से अनुमान लगाने के लिए लॉन्ग-रेंज (कम से कम 20 साल) के डेटा की जरूरत है.'

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी मंगलवार को लैंडस्लाइड डिजास्टर से बढ़ते खतरे के प्रति आगाह किया था. राष्ट्रपति भवन में एक अवॉर्ड समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, "GSI, कोलकाता में नेशनल लैंडस्लाइड फॉरकास्टिंग सेंटर की हाल ही में स्थापना की गई है. मुझे बताया गया है कि यह सेंटर आने वाले दिनों में, उचित समय पर सभी लैंडस्लाइड संभावित राज्यों के लिए अर्ली वॉर्निंग बुलेटिन जारी करेगा. अभी कुछ दिन पहले हमने देश के कई हिस्सों में लैंडस्लाइड और बाढ़ जैसी आपदाएं देखीं, जिनमें कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. हम अपने सिस्टम को इतना फुलप्रूफ और सटीक बनाएं कि ऐसी आपदाओं से देश के किसी भी भाग में कम से कम नुकसान हो".

करीब तीन हफ्ते पहले केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड ने कहर बरपाया था. अब सिक्किम में लैंडस्लाइड डिजास्टर एक चेतावनी है कि आपदा का खतरा बड़ा हो रहा है और इससे निपटने की चुनौती भी.

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