केरल में पिछले हफ्ते एक राजनैतिक रैली के दौरान नाबालिग लड़के को आपत्तिजनक नारे लगाने के मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया है. केरल हाईकोर्ट द्वारा राजनीतिक और धार्मिक रैलियों में बच्चों के इस्तेमाल पर चिंता व्यक्त करने के बाद ये केस दर्ज हुआ है. यह घटना पिछले हफ्ते तटीय अलाप्पुझा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के एक मार्च के दौरान हुई थी. सोशल मीडिया पर इस घटना का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें लड़का एक आदमी के कंधों पर बैठा दिख रहा है और वह केरल में हिंदू और ईसाई समुदायों के लोगों के खिलाफ नफरत भरे नारे लगा रहा है.
जस्टिस गोपीनाथ ने कहा कि क्या ये ऐसी नई पीढ़ी को बढ़ावा नहीं दे रहे, जिनके मन में धार्मिक घृणा की भावना पल और बढ़ रही है. जब ये बच्चा बड़ा होगा तो उसका दिमाग पहले से ही इस तरह की बयानबाजी का आदी होगा. इस मामले में कुछ किया जाना चाहिए. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने केरल पुलिस पर प्राथमिकी दर्ज करने का दबाव बनाया था, जिसके बाद एक व्यक्ति को हिरासत में ले लिया गया है. व्यक्ति कोट्टायम के एराट्टुपेटा का रहने वाला है. आशंका है कि यही बच्चे को रैली में लेकर आया था.
पुलिस ने मामले में पीएफआई अलाप्पुझा जिला अध्यक्ष नवास वंदनम और जिला सचिव मुजीब के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है. पीएफआई के अधिकारियों ने समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से कहा कि शनिवार को अलाप्पुझा में एक मार्च के दौरान उनके पास उनके ऑफिशियल नारे थे. यह नारा उनमें से नहीं था, विभिन्न जगहों से बहुत सारे कार्यकर्ता मार्च में शामिल हुए, जब कार्यकर्ताओं ने इस नारे को सुना तो उन्होंने इसका इस्तेमाल नहीं किया.
घटना की निंदा करते हुए कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ट्वीट किया कि इस घटना के वीडियो और मीडिया रिपोर्टों ने केरल को झकझोर दिया है. अभद्र भाषा और डराने वाले नारे निंदनीय हैं, चाहे उनके पीछे की राजनीति या उनका उपयोग करने वालों का धर्म कुछ भी हो. इस बीच भाजपा नेता केजे अल्फोंस ने दक्षिणी राज्य में बढ़ते कट्टरपंथ पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि ये वीडियो चौंकाने वाला है. मैं वास्तव में हैरान नहीं हूं, क्योंकि मैंने केरल में 10-15 सालों में इस तरह की घटना देखी है. केरल आईएसआईएस के लिए सबसे बड़ी प्रयोगशाला बन रहा है. सीरिया और ईराक जाने वाले लोगों की संख्या देखें.