स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है. यह हलफनामा SBI के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा की तरफ से दाखिल किया गया है. इस हलफनामे में कहा गया है कि बैंक ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 15 फरवरी को दिए गए आदेश का पालन कर दिया है. बता दें कि SBI ने सुप्रीम कोर्ट से यह जानकारी एक पेन ड्राइव में दो पीडीएफ फाइल बनाकर ये जानकारी साझा की है. दोनों ही पीडीएफ फाइलों का पासवर्ड सुरक्षित है.
पासवर्ड संरक्षित फाइल में दी जानकारी
हलफनामे में आगे कहा गया है कि उपरोक्त निर्देशों के सम्मानजनक अनुपालन में, 12.03.2024 को व्यावसायिक समय समाप्त होने से पहले इस जानकारी का एक रिकॉर्ड डिजिटल रूप (पासवर्ड संरक्षित) भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को उपलब्ध कराया गया. (i) निर्देश संख्या (बी) के अनुसार, प्रत्येक चुनावी बॉन्ड की खरीद की तारीख, खरीदार का नाम और मूल्यवर्ग खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की जानकारी दी गई है. निर्देश संख्या (सी) के अनुसार, नकदीकरण की तारीख, चुनावी बॉन्ड, उन राजनीतिक दलों के नाम, जिन्होंने योगदान प्राप्त किया है और उक्त बॉन्ड का मूल्यवर्ग है.
SBI द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया Compliance Affidavit by vrastogi on Scribd
2019 से 2024 तक के बॉन्ड की दी गई है जानकारी
इसमें आगे कहा गया है कि उपरोक्त डेटा 12.04.2019 से 15.02.2024 के बीच खरीदे और भुनाए गए बॉन्ड के संबंध में प्रस्तुत किया गया है. इस अवधि के दौरान चुनावी बॉन्ड चरणों में बेचे और भुनाए गए और 11 वां चरण 01.04.2019 से शुरू हुआ. आवेदन में निर्धारित बॉन्डों की संख्या में वे बॉन्डों शामिल हैं जो 1 अप्रैल, 2019 से शुरू होने वाली अवधि के दौरान खरीदे गए थे, 12 अप्रैल, 2019 से नहीं. कुल 22,217 बांड 01.04.2019 से 15.02.2024 की अवधि के दौरान खरीदे गए थे. जिनमें से 22,030 बॉन्ड को भुनाया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने दी थी 15 मार्च तक की मोहलत
बता दें कि चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने SBI की याचिका खारिज करते हुए 12 मार्च तक ब्योरा देने के निर्देश दिए थे. साथ ही EC को 15 मार्च तक ये ब्योरा पब्लिश करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने SBI CMD को ब्योरा जारी कर हलफनामा दाखिल करने को कहा था. कोर्ट ने SBI के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने से इनकार किया. SC ने चेतावनी दी थी कि हम एसबीआई को नोटिस देते हैं कि यदि एसबीआई इस आदेश में बताई गई समयसीमा के भीतर निर्देशों का पालन नहीं करता है तो यह न्यायालय जानबूझकर अवज्ञा के लिए उसके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए इच्छुक हो सकता है.