NCP में सियासी उठापटक के बाद विपक्षी एकता की कवायद को झटका! 17-18 जुलाई को होगी अगली बैठक

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को एनसीपी में अजित पवार की बगावत पर कहा कि सबका एक लक्ष्य है कि देश से बीजेपी जाए.. ना सत्य बदल सकता है और ना लक्ष्य बदल सकता है

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नई दिल्ली:

अजित पवार की बगावत ने विपक्षी खेमे को हिलाकर रख दिया है. महा विकास आघाडी को विपक्षी एकता का एक उदहारण माना जाता था. लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद में अहम भूमिका निभा रहे शरद पवार अपनी ही एनसीपी को एकजुट रखने में नाकामयाब रहे. शरद पवार ने सोमवार को बीजेपी पर तीखा हम्ला करते हुए कहा, "जिन लोगों ने एनसीपी को तोड़ने की कोशिश की हम उन्हें उनकी असली जगह दिखाएंगे. बीजेपी सभी विपक्षी दलों को खत्म करने की कोशिश कर रही है. वे समाज में डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं".

17 और 18 जुलाई को होगी विपक्षी दलों की बैठक

महाराष्ट्र में लगे सियासी झटके के बावजूद विपक्षी दलों ने अब बेंगलुरु में 17 और 18 जुलाई को अपनी अगली बैठक करने का फैसला किया है. कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने इसकी घोषणा करते हुए ट्वीट कर कहा, "हम फांसीवादी और अलोकतांत्रिक ताकतों को हराने और देश को आगे ले जाने के लिए एक साहसिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के अपने अटूट संकल्प पर कायम हैं".

विपक्षी दलों ने बीजेपी पर बोला हमला

अजित पवार की बगावत से महा विकास आघाडी  -- जिसे विपक्षी एकजुटता का प्रतीक माना जाता था --अब कमज़ोर दिख रही है. विपक्षी दलों ने बीजेपी पर तोड़फोड़ की राजनीति का आरोप लगाते हुए सोमवार को दावा किया कि वो एकजुटता की मुहीम जारी रखेंगे.  

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अखिलेश यादव ने क्या कहा? 

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को एनसीपी में अजित पवार की बगावत पर कहा कि सबका एक लक्ष्य है कि देश से बीजेपी जाए.. ना सत्य बदल सकता है और ना लक्ष्य बदल सकता है... दिल्ली की सरकार में बीजेपी को हटाने के लिए रास्ता निकालना पड़ेगा.

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विधायकों के जाने से पार्टी कमजोर नहीं होती है: केसी त्यागी

जेडीयू के वरिष्ठ नेता और मुख्या प्रवक्ता के सी त्यागी ने आरोप लगाया है कि जिन एनसीपी नेताओं के खिलाफ ईडी और टैक्स विभाग में मुकदमे दर्ज किए थे उन्हीं को महाराष्ट्र सरकार में अब शामिल करा लिया गया है जो दिखाता है कि सरकार विपक्षी गठबंधन से डरी हुई है. पटना में 15 महत्वपूर्ण विपक्षी दलों की जो बैठक हुई से बीजेपी घबरा गई थी.  के सी त्यागी ने एनडीटीवी से कहा, "MLAs के पार्टी छोड़कर जाने से पार्टी कमजोर नहीं होती. इससे पहले भी नेताओं के पार्टी छोड़कर जाने से जनता पर असर नहीं पड़ा. बीजेपी से भी कई अवसर पर लोग नाराज हो कर गए हैं...इंदिरा गांधी और चौधरी चरण से भी नाराज होकर नेताओं ने पार्टी छोड़ी थी लेकिन इससे जनता की शक्ति पर कोई असर नहीं पड़ता है. 23 जून की विपक्ष की बैठक में शरद पवार मुख्य भूमिका निभा रहे थे ... वह आगे भी अपनी भूमिका निभाते रहेंगे".  

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वामदल साझा एजेंडे की कर रहे हैं बात

सीपीआईएम पोलित ब्यूरो के सदस्य नीलोत्पल बासु ने एनडीटीवी से कहा, "बेंगलुरु में अगली विपक्षी दलों की बैठक में राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की एकजुटता और मजबूत करने के एजेंडे पर बात होगी. कुछ नेताओं ने एक कॉमन मिनिमम एजेंडा का सुझाव दिया है लेकिन इस पर विपक्षी दल किसी मुकम्मल एजेंडे पर अभी तक नहीं पहुंचे हैं. अगले लोकसभा चुनावों में विपक्षी दलों का क्या साझा राजनीतिक एजेंडा हो इस पर स्पष्टता आएगी".

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लेकिन इन दावों के बावजूद एनसीपी में सियासी उठापटक के बाद विपक्षी दलों के लिए आगे की राह आसान नहीं दिखती. इसमें शक नहीं कि NCP में टूट विपक्षी एकता के लिए एक बड़ा झटका है. साथ ही, ये एक सबक भी है कि राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होने की जद्दोजहद में जुटी विपक्षी दलों को अपने घर को भी संभल कर रखना होगा.  

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