झालवाड़ की घटना से हम कब सीखेंगे? राजस्थान में स्कूलों के गिरने का सिलसिला अभी भी जारी, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र के हालात दयनीय हैं. आंगनबाड़ी केंद्र में पहले भी हादसा हो चुका है, जहां टीकाकरण कार्यक्रम के दौरान छत पर लगी पट्टी भरभरा कर गिर गई थी.

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  • प्रदेश के कई सरकारी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर हालत में हैं और बच्चों की सुरक्षा खतरे में है
  • कलेक्टर ने जर्जर भवनों का निरीक्षण करने और मरम्मत के निर्देश दिए हैं लेकिन मरम्मत कार्य अभी तक अधूरा है
  • कई जिलों में स्कूल की छतें गिर चुकी हैं, जिससे बाल-बाल बड़े हादसे टले हैं और प्रशासनिक लापरवाही उजागर हुई है
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झालावाड़ हादसे के बाद प्रदेश भर में जर्जर सरकारी विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों के हालात किसी से छुपे नहीं है. शहर के आसपास के क्षेत्रो में भी कई विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर अवस्था में नजर आते हैं. ऐसा ही एक नजारा कल्याणपुरा के राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय में नजर आया, जहां 1992- 93 से आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित है. ये पूरा भवन जर्जर अवस्था में नजर आता है. पूरे भवन में बड़ी-बड़ी दरारें साफ देखने को मिलती हैं.

साथ ही छत की पट्टियां भी कमजोर हैं और हादसे को न्यौता देती नजर आती हैं. यहां बच्चे बैठकर पढ़ाई करते हैं लेकिन झालावाड़ स्कूल हादसे के बाद से यहां स्टॉफ ने बच्चों को बरामदे में बैठाना शुरू किया है. यहां की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रही संतोष देवी लंबे समय तक भवन और बच्चों के लिए प्रयास करती रहीं, लेकिन गत 19 जुलाई को उनका निधन हो गया.

ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र के हालात दयनीय हैं. आंगनबाड़ी केंद्र में पहले भी हादसा हो चुका है, जहां टीकाकरण कार्यक्रम के दौरान छत पर लगी पट्टी भरभरा कर गिर गई थी. हादसे में मौजूद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और बच्चे बाल-बाल बचे थे. वहीं स्कूल के कमरों की हालत भी बद से बदतर नजर आती है. हालांकि, हादसे के बाद कलेक्टर द्वारा जर्जर भवनों के इंस्पेक्शन के निर्देश दिए हैं.

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झालावाड़ के बाद जारी जर्जर स्कूलों के गिरने का सिलसिला

कोटा: हजारों छात्र असुरक्षित हालात में पढ़ाई कर रहे हैं. यहां 14 स्कूलों की इमारतों को गिराने के लिए चुना गया है. 1,000 से ज्यादा सरकारी स्कूलों के 600 से 700 क्लासरूम बदहाल हैं. इन्हें तत्काल मरम्मत के वर्ग में रखा गया है.

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करौली: जर्जर स्कूल भवन ने ली चेतावनी जैसी शक्ल, हादसे से बाल-बाल बचे छात्र – सपोटरा के इनायती स्कूल में छत गिरी.

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सिरोही: आबूरोड क्षेत्र के पांडूरी गांव की बंजाराफली प्राथमिक स्कूल में शनिवार सुबह एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया.

नागौर: डेगाना खारियावास गांव में गिरी स्कूल की छत, बड़ा हादसा टला, राजकीय प्राथमिक विद्यालय के बरामदे की गिरी पट्टीया ,सुबहे करीब 8 बजे के आस पास की बताई जा रही है घटना.

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कोटपुतली: राजकीय प्राथमिक विद्यालय बेनाड की ढाणी पालेड़ा में जर्जर भवन,छत और दीवारों से गिरा चूना, बच्चों की जान पर बना खतरा,गनीमत रही कि समय रहते भवन से बाहर निकाले गए सभी छात्र,विद्यालय प्रशासन ने बताया—पहले गत वर्ष सर्वे रिपोर्ट में भी दी थी जर्जर भवन की जानकारी.

भीलवाड़ा: एक स्कूल में छत का प्लास्टर गिरा, जिसमें मासूम बाल-बाल बचे. पूरा मामला शहर के कांवाखेड़ा स्कूल का है. शिक्षा विभाग के अधिकारी ने मौके पहुंच स्कूल में अवकाश कराया.

सिरोही  आबूरोड  क़े पांडूरी बंजाराफली  स्कूल का प्लास्टर गिरा 

स्कूल में प्लास्टर गिरने से हड़कंप मचा. गनीमत रही कि प्लास्टर गिरे तब कोई बच्चा नीचे नहीं था. वरना बड़ा हादसा हो सकता था. स्कूल के दो कमरे पहले से क्षतिग्रस्त हैं, डर के साए में स्कूल के बच्चे हैं. स्कूल प्रबंधन ने कई बार  उच्चअधिकारियो को अवगत करवाया.

मोना डूंगर गांव में गिरा स्कूल का छज्जा

जिला मुख्यालय से 65 किमी दूर मोना डूंगर गांव में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय (कालिका माता मंदिर स्कूल) का छज्जा बीती रात अचानक गिर गया. तेज बारिश के चलते जर्जर हो चुके स्कूल भवन का हिस्सा भरभराकर ढह गया. गनीमत रही कि यह हादसा रात को हुआ, जब स्कूल बंद था. यदि यह घटना दिन में होती, तो दर्जनों बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती थी.

घटना की सूचना मिलते ही सल्लोपाट थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति का जायजा लिया. पुलिस ने तुरंत ही उच्चाधिकारियों को सूचित किया. ग्रामीणों का कहना है कि विद्यालय भवन की हालत लंबे समय से खराब है, लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई मरम्मत कार्य नहीं कराया. ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि स्कूल भवन की शीघ्र मरम्मत कराई जाए, ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और उनकी पढ़ाई भी बाधित न हो.

बांसवाड़ा जिले में 200 से ज्यादा सरकारी स्कूलों की हालत खस्ता

बांसवाड़ा जिले में 200 से अधिक सरकारी स्कूल जर्जर हालत में हैं, जिससे भविष्य में और भी बड़े हादसों की आशंका बनी हुई है. इस घटना ने एक बार फिर सरकारी स्कूलों की भवन सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

झालावाड़ में हुए दर्दनाक हादसे के बाद अब एक बार फिर उदयपुर जिले में एक बड़ा हादसा देखने को मिला जहां वल्लभनगर ब्लॉक के रुपावली में स्कूल की जर्जर इमारत देखते-देखते ढह गई. गनीमत रही कि रविवार की छुट्टी होने की वजह से बच्चे स्कूल में नहीं थे, वरना एक बार फिर झालावाड़ जैसा हादसा दोहराया जा सकता था. हालांकि कई समय से ग्रामीण इस स्कूल की जर्जर इमारत को लेकर विरोध करते आ रहे हैं. लेकिन जिम्मेदारों के कानों से जू तक नहीं रेंगी, जिसका खामियाजा रविवार को देखने को मिला. यही नहीं ग्रामीणों द्वारा एक दिन पूर्व ही शनिवार को स्कूल के जर्जरता के हालातो को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया, लेकिन फिर भी ना विभाग का कोई अधिकारी पहुंचा ना प्रशासन पहुंचा. वहीं, रविवार अल सुबह यह इमारत ढह गई.

बारां जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर की दूरी पर छीपाबड़ौद उपखण्ड के सूरजपुरा के राजकीय विद्यालय का भवन अचानक भरभरा कर गिर गया. गनीमत रही की ये घटना रात की है. यदि विद्यालय समय में गिरता तो बड़ा हादसा हो सकता था. क्योंकि इस विधालय भवन में गांव के छात्र अध्ययन करते है.

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