मिचौंग साइक्लॉन के बाद चेन्नई में तेल रिसाव को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी

एनडीटीवी ने कम से कम चार किलोमीटर दूर तक तेल रिसाव का पता लगाया था, तेल रिसने से एन्नोर मुहाने पर पर्यावरणीय क्षति हुई है

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चेन्नई के उत्तरी इलाके में तेल रिसाव के चलते बुरे हालात बन गए हैं.
चेन्नई:

चक्रवात मिचौंग के कारण आई विनाशकारी बाढ़ के चलते चेन्नई के उत्तरी इलाकों में तेल रिसाव हुआ था. इसके कुछ दिनों बाद अब शहर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौट रहा है. तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच तेल रिसाव के मामले पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. तेल रिसाव चेन्नई के एन्नोर क्षेत्र में हुआ था. यह इलाका रिफाइनरियों और पेट्रोकेमिकल उद्योगों का केंद्र है.

तेल रिसाव के चलते विशाल जलीय इकोसिस्टम के दूषित होने की आशंका है, जो कि में चिंता का विषय है. शहर की बकिंघम नहर में तेल रिसाव हुआ. इससे महत्वपूर्ण जलमार्ग के साथ घरों और संपत्तियों को हुए नुकसान से जूझ रहे स्थानीय लोगों की समस्याओं बढ़ गई हैं.

तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (TNPCB) ने चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CPCL) को प्रभावित क्षेत्रों का सावधानीपूर्वक मानचित्रण करने और एक व्यापक कार्य योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. घटना की जांच करने वाली एक तकनीकी टीम ने निष्कर्ष निकाला कि रिसाव सीपीसीएल फैसिलिटी से हुआ और बाढ़ के दौरान तेल बकिंघम नहर में प्रवेश कर गया.

टीएनपीसीबी ने सीपीसीएल में अपर्याप्त तूफानी जल प्रबंधन की पहचान करने, कंपनी को तेल रिसाव वाले हॉटस्पॉट को मैप करने और उपचारात्मक उपायों को लागू करने का भी आदेश दिया. उसे शून्य रिसाव सुनिश्चित करने के लिए कड़े निर्देश जारी किए गए हैं. उस पर उल्लंघन करने पर ऑपरेशनल सस्पेंशन का खतरा मंडरा रहा है.

इसके अलावा सीपीसीएल को आजीविका के नुकसान और पर्यावरणीय क्षति के कारण प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. बकिंघम नहर के किनारे के कई क्षेत्रों के निवासियों ने तेल की भारी बदबू, श्वसन समस्याओं और स्किन इनफेक्शन की शिकायत की है. 

तेल रिसाव से प्रभावित व्यक्तियों की हृदयविदारक दुर्दशा है. विम्को नगर में रहने वालीं कैथरीन ने अपनी परेशानी को लेकर कहा, "तेल रिसाव के चलते केरल में एक स्पर्धा से ठीक पहले मेरी सभी डिजाइनर ड्रेसें और कॉस्मेटिक्स नष्ट हो गए हैं."

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इसी इलाके की निवासी 50 साल की शनमुगम ने अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर खुलासा किया कि, "मुझे यूरीनरी इन्फेक्शन हो गया और दवा पर 1500 रुपये खर्च हो गए. मैं अभी तक ठीक नहीं हूं."

एक बुजुर्ग महिला सारदा ने त्वचा में हुआ इन्फेक्शन दिखाया. उन्होंने बताया, "मैं अपने मवेशियों को ले जाते हुए तेल रिसाव के बीच से गुजरी. अब मुझे भारी खुजली हो रही है और चकत्ते हो गए हैं."

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दो बच्चों की मां नित्या ने मुआवजे की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, "सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तेल से छुटकारा पाने के लिए हमारे घरों और सड़कों को वैज्ञानिक तरीके से साफ किया जाए."

एनडीटीवी ने कम से कम चार किलोमीटर दूर तक तेल रिसाव का पता लगाया था. तेल रिसाव से एन्नोर मुहाने पर पर्यावरणीय क्षति हुई है. मछली पकड़ने वाली नौकाओं के किनारों पर तेल की मोटी परत जम गई और जाल बर्बाद हो गए. तट पर तेल की काली परत है. मछुआरा संघ के प्रमुख सुरेश ने कहा, "हम यहां मछली नहीं पकड़ सकते. रिसाव समुद्र में भी फैल रहा है. हम अपना रोजगार खो देंगे."

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पर्यावरणविद् नित्यानंद जयरामन लालफीताशाही में महत्वपूर्ण समय बर्बाद करने के लिए सरकार को दोषी मानते हैं. वे कहते हैं, "सरकार को तत्काल तेल का प्रसार रोकना चाहिए था, लेकिन उन्होंने जांच शुरू कर दी, तेल को फैलने दिया. देखिए कि वे किसी आपदा पर कितनी तेजी से प्रतिक्रिया करते हैं."

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