भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर 12वें राउंड की बातचीत के सार्थक परिणाम आने के संकेत मिले हैं. 12वें राउंड की वार्ता के बाद दोनों देशों के सैनिक पूर्वी लद्दाख के गोगरा में पीछे हटे हैं, इन्होंने वहां निर्मित सभी अस्थायी स्ट्रक्चर को हटा दिया है. सेना की ओर से पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाए जाने के विषय पर कहा गया है कि भारतीय और चीनी पक्ष ने गोगरा में अग्रिम मोर्चे पर सैनिकों की तैनातियों को चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से रोका है. इसके साथ ही दोनों पक्षों द्वारा निर्मित सभी अस्थायी ढांचों को नष्ट कर दिया गया है और परस्पर तरीके से इसे सत्यापित किया गया है.
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सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'जैसे कि इस सप्ताह की शुरुआत में बताया गया था, भारत और चीन के कोर कमांडरों के बीच 12वें राउंड की बैठक 31 जुलाई को पूर्वी लद्दाख के चुशुल मोल्दो मीटिंग प्वाइंट पर हुई थी.दोनों पक्षों के बीच भारत-चीन सीमा क्षेत्र के पश्चिमी सेक्टर में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से शेष स्थानों पर तनाव कम करने को लेकर विचारों का गहन और स्पष्ट आदान प्रदान किया गया. दोनों पक्ष गोगरा एरिया से पीछे हटने को लेकर सहमत हुए हैं. इस क्षेत्र में पिछले साल मई में सैनिक आमने-सामने आ गए थे. बनी सहमति के अनुसार, दोनों पक्षों ने चरणबद्ध और समन्वित तरीके से इस क्षेत्र में अग्रिम तैनाती बंद कर दी. डिस्इंगेजमेंट की प्रक्रिया को चार और पांच अगस्त 2021 को किया गया. दोनों पक्षों के सैनिक अब अपने-अपने स्थायी ठिकानों में हैं. बयान में कहा गया है कि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के साथ भारतीय सेना देश की संप्रभुता सुनिश्चित करने और पश्चिमी क्षेत्र में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के आसपास शांति बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
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गौरतलब है कि ताजा दौर की यह बातचीत भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच शंघाई कोआपरेशन आर्गेनाइजेशन (SCO) सम्मेलन के इतर 14 जुलाई को हुई मुलाकात के बाद हुई है.विदेश मंत्री जयशंकर ने दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन के इतर एक घंटे तक चली बैठक के दौरान अपने चीनी समकक्ष वांग यी से स्पष्ट तौर पर कहा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति में कोई भी एकतरफा बदलाव भारत को 'स्वीकार्य नहीं' है और पूर्वी लद्दाख में शांति की पूर्ण बहाली के बाद ही संबंध समग्र रूप से विकसित हो सकते हैं.
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