पुरुष हो या महिला, सभी को...', इस बार अलग था अफगानिस्तानी मंत्री मुत्तकी की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस का नजारा

अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी को अपने पिछले प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति से उपजे विवाद पर सवालों की बौछार का सामना रविवार को हुई प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान करना पड़ा.

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बहिष्कार' विवाद के बाद मुत्तकी की दूसरी मीडिया ब्रीफिंग में महिला पत्रकार शामिल हुईं
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  • अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्तकी ने नई दिल्ली में महिला पत्रकारों की गैरमौजूदगी पर सफाई दी
  • मुत्तकी ने कहा कि अफगानिस्तान में इस्लामी शासन के तहत पुरुष और महिलाओं दोनों के अधिकार सुरक्षित
  • मुत्तकी ने कहा कि पिछले 4 वर्षों में अफगानिस्‍तान में काफी कुछ बदल गया है.
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नई दिल्‍ली:

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी की रविवार को हुई प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में नजारा अलग दिखा. इस बार महिला पत्रकार भी प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में नजर आईं और उन्‍होंने सवाल भी पूछे. साथ ही आमिर खान मुत्तकी ने पिछली प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में हुई, 'चूक' पर अपनी सफाई भी दी. दो दिन पहले अपने मीडिया को दिये बयान में महिला पत्रकारों की गैरमौजूदगी को लेकर उठे विवाद को शांत करते हुए अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने रविवार को कहा कि ऐसा इरादतन नहीं किया गया था. 

चाहे पुरुष हो या महिला, सभी को आजादी

मुत्तकी की नई दिल्ली में तीन दिनों में ये दूसरी प्रेस कॉन्‍फ्रेंस थी, जिसमें कई महिला पत्रकारों ने भाग लिया. इस दौरान उन्‍होंने कहा, 'अफगानिस्तान में इस्लामी शासन है. इस्लाम में सभी के अधिकार सुरक्षित हैं, चाहे वह पुरुष हो या महिला, सभी को आजादी है. किसी पर कोई पाबंदी नहीं है. पिछले 40 सालों में जो कुछ भी हुआ है, चार साल पहले जब हमने शासन करना शुरू किया था, तो हमने उन ज़्यादातर लोगों को माफ कर दिया था, जिन्हें पहले सज़ा दी गई थी. यहां तक कि जिन लोगों ने हमारे लोगों की ज़िंदगी बर्बाद की, वे भी काबुल में आज़ाद ज़िंदगी जी रहे हैं. हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं, ताकि लोगों को एहसास हो कि खून को खून से नहीं मिटाया जा सकता. हमने उन सभी को माफ़ कर दिया, जिन्होंने हमारे खिलाफ लड़ाई लड़ी. अगर अब भी किसी पर अत्याचार होता है (जो अब नहीं होता) तो हमारे पास क़ानून हैं. हमारे गवर्नर और दूसरे लोगों के पास सुरक्षा नहीं है. मैं ख़ुद काबुल में बिना सुरक्षा के मोटरसाइकिल चलाता हूं.'

इससे पहले शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में महिला पत्रकारों को शामिल न करने के लिए भारत के विपक्षी दलों और पत्रकारों की ओर से अफगान विदेश मंत्री की कड़ी आलोचना की गई थी. दिलचस्प बात यह है कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात (जैसा कि तालिबान कहते हैं) का एक बड़ा झंडा अफगान दूतावास के सम्मेलन कक्ष में मुत्तकी की कुर्सी के पीछे लगाया गया था, जबकि एक छोटा झंडा सामने की ओर लगाया गया था.  

महिला पत्रकारों को न बुलाए जाने पर सफाई...

अफगान विदेश मंत्री को अपने पिछले प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति से उपजे विवाद पर सवालों की बौछार का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा, 'जहां तक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की बात है, इसे शॉर्ट नोटिस पर बुलाया गया था. पत्रकारों की एक छोटी लिस्‍ट जल्‍दी-जल्‍दी तैयार की गई थी. यह एक तकनीकी मुद्दा था.' मत्तकी ने कहा कि महिला पत्रकारों को बाहर रखने की कोई मंशा नहीं थी. उन्होंने कहा, 'हमारे सहयोगियों ने विशिष्ट पत्रकारों को निमंत्रण भेजने का निर्णय लिया था तथा इसके अलावा कोई अन्य इरादा नहीं था.' अफगान विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि किसी के भी अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहि, चाहे वह पुरुष हो या महिला.'

नई दिल्ली स्थित अफगान दूतावास किसका?

कई विपक्षी नेताओं ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति को 'अस्वीकार्य' और 'महिलाओं का अपमान' बताया था. कई मीडिया संस्थाओं ने भी अफगान विदेश मंत्री की आलोचना की थी. इधर, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रेस वार्ता में उसकी कोई भागीदारी नहीं थी. झंडे के बारे में और यह पूछे जाने पर कि क्या नई दिल्ली स्थित अफगान दूतावास तालिबान का है, क्योंकि भारत ने अभी तक इसे मान्यता नहीं दी है, मुत्तकी ने कहा कि यह मिशन 'हमारा' है. उन्होंने कहा, 'यह हमारा झंडा है. यह 100 प्रतिशत हमारा दूतावास है. यहां काम करने वाले सभी लोग हमारे साथ हैं.'

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मुत्तकी गुरुवार को छह दिवसीय यात्रा पर नयी दिल्ली पहुंचे थे. अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के सत्ता से हटने और तालिबान के सत्ता अपने हाथों में लेने के चार साल बाद तालिबान सरकार के किसी नेता की भारत की यह पहली हाई लेवल यात्रा है. भारत ने अब तक तालिबान को मान्यता नहीं दी है.

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