अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद से ही महिलाओं की परेशानी बढ़ गई हैं. अफगानअमेरिकन इतिहासकार बहार जलाली ने काबुल (Kanul) में जब तालिबान समर्थक रैली (Pro Taliban Rally) में महिलाओं को पूरा चेहरा ढके देखा तो उन्होंने एक कैंपेन शुरू किया है, कैंपेन के जरिये परंपरागत अफगान परिधानों (Afghanistan Dresses) को सामने लाना है.
वॉशिंगटन से करीब एक घंटे की दूरी पर मौजूद मैरीलैंड के ग्लैनवुड में रहने वाली जलाली ने कहा, मैं बहुत चिंतित थी कि दुनिया यह सोचेगी कि काबुल में उन महिलाओं ने जो कपड़े पहन रखे हैं, वो परंपरागत अफगान परिधान हैं. मैं नहीं चाहती कि मेरी संस्कृति और विरासत को गलत तरीके से पेश किया जाए.
56 साल की जलाली ने सोशल मीडिया हैशटैग डू नोट टच माई क्लोथ्स और अफगानिस्तान कल्चर बनाए. जल्द ही यह बेहद लोकप्रिय हो गए हैं. इन हैशटैग से महिलाएं रंगीन, कढ़ाई वाले कपड़े पहनकर और कैमरे के सामने मुस्कुराते हुए तस्वीरें खिंचवा रही हैं. एएफपी से जलाली ने कहा कि अफगान महिलाएं हिजाब नहीं पहनती हैं.
तालिबान समर्थक प्रदर्शनकारियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा हम ढीले शिफॉन का हैंडस्कार्फ पहनते हैं, जिसमें से बाल नजर आते हैं. जो भी अफगानिस्तान के इतिहास, संस्कृति से परिचित है वो जानता है कि उन महिलाओं द्वारा पहने गए कपड़े कभी भी अफगानिस्तान में पहले नहीं देखे गए.
तालिबान की शिक्षा में महिलाओं के लिए सख्त नई पोशाक नीतियों के अनुसार करीब 300 महिलाएं सभी काले रंग में सिर से पैर तक ढकी नजर आईं और उन्होंने तालिबान के झंडे लहराए थे. साथ ही महिलाओं ने कट्टरपंथियों के लिए समर्थन व्यक्त किया.