अडानी पावर बनाम गुजरात ऊर्जा विकास निगम मामले में अडानी पावर ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है, जिसके बाद गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई टाल दी है. सुप्रीम कोर्ट ने अडानी पावर को जवाब देने के लिए तीन हफ्ते दिए हैं. अब 17 नवंबर से क्यूरेटिव पिटीशन पर बहस शुरू होगी. बता दें कि पांच जजों की पीठ ने यह मामला फिर से खोला है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट अडानी पावर और गुजरात ऊर्जा विकास निगम (GUVNL) मामले में 2019 में दिए अपने फैसले पर फिर से विचार करने को तैयार हो गया था और मामले को फिर से खोल दिया था. इस मामले में GUVNL ने क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी. चीफ जस्टिस एन वी रमन की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ मामले पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गई और अडानी पावर को नोटिस जारी किया गया था.
दो साल पहले इस मामले में बिजली खरीदने के एग्रीमेंट को रद्द करने के अडानी पावर के फैसले को सही ठहराया गया था. मालूम हो कि क्यूरेटिव पिटीशन किसी मामले में सुनवाई की गुजारिश के लिए आखिरी रास्ता होता है और उच्चतम न्यायालय के पुनर्विचार याचिका को खारिज कर देने के बाद ही इसे दाखिल किया जाता है.
क्या है मामला?
दरअसल, यह मामला साल 2010 का है. गुजरात इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (GERC) ने अडानी पावर पर GUVNL से हुए पावर पर्चेज एग्रीमेंट (PPA) को गलत तरीके से रद्द करने का आरोप लगाया था. अपीलीय ट्राइब्यूनल ने जीईआरसी के पक्ष में फैसला सुनाया था. इसके बाद अडानी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अडानी के पक्ष में फैसला सुनाया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पीपीए रद्द करने का अडानी पावर का फैसला सही है, ऐसा इसलिए क्योंकि उसे जीएमडीसी के नैनी ब्लॉक से समय पर कोयले की सप्लाई नहीं मिली थी. साथ ही कोर्ट ने अडानी को नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे का दावा करने के लिए भी अनुमति दी थी.