हिंडनबर्ग केस (Hindenburg Case)में सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमेटी से अदाणी ग्रुप (Adani Group) को क्लीन चिट मिल गई है. कमेटी ने कहा कि अदाणी की कंपनियों में गैर-कानूनी निवेश के सबूत नहीं मिले हैं. पहली नजर में किसी भी नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ है. अदाणी ग्रुप ने शेयरों की कीमतों को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं किया. कमेटी की रिपोर्ट पर पूर्व आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ( KV Subramaniam) ने अपनी राय दी. उन्होंने कहा कि जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई थी, तब हमारी टीम ने भी एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें तथ्यों के साथ साफ कहा गया था कि अदाणी ग्रुप ने कुछ गलत नहीं किया. आज कमेटी ने जो कहा, उससे हमारी रिपोर्ट भी सही साबित हो गई.
सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अदाणी ग्रुप ने रिटेल निवेशकों का भरोसा बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं. एक्सपर्ट कमिटी ने कहा कि अदाणी ग्रुप के शेयरों में रिटेल निवेश 24 जनवरी के बाद कई गुना बढ़ गया है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अदाणी ग्रुप की ओर से उठाए गए कदमों से विश्वास पैदा करने में मदद मिली और शेयरों के भाव अब स्थिर हैं.
कोई फ्रॉड नहीं हुआ
कमेटी की रिपोर्ट पर पूर्व आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने कहा, "हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में जो भी कहा था, वो सच नहीं है. कोई फ्रॉड नहीं हुआ था. मैंने अपने एक कॉलम में कहा था कि अदाणी ग्रुप के स्टॉक प्राइस को पहले हमें समझना चाहिए. स्टॉक प्राइस में जो बढ़ोतरी हुई, वो असल में रेवेन्यू हैं. अदाणी ग्रुप की सेल्स 2021 के बाद बहुत तेजी से बढ़ी. निवेशकों ने ये अनुमान लगाया कि ऐसी बढ़ोतरी होती रहेगी. इसका कारण 2021 के आम बजट में किए गया एक ऐलान था.
इंफ्रास्टक्चर सेक्टर में निवेश बढ़ाने की हुई थी बात
2021 के बजट में सरकार ने इंफ्रास्टक्चर सेक्टर में निवेश बढ़ाने की बात कही थी. ये स्वाभाविक था कि इससे निवेशक यही समझेंगे कि भारत सरकार की नीति में बदलाव का लाभ ग्रुप को मिलेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सुप्रीम कोर्ट की पैनल रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है."
कांग्रेस की जेपीसी की मांग को केवी सुब्रमण्यम ने किया खारिज
हिंडनबर्ग केस पर सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी की रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप को क्लीनचिट मिलने के बाद कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रिपोर्ट पर आपत्ति जताते हुए जेपीसी जांच की मांग की है. कांग्रेस की इस मांग को केवी सुब्रमण्यम ने बेबुनियाद बताया है. उन्होंने इसके पीछे दो तर्क दिए.
केवी सुब्रमण्यम ने दिए ये 2 तर्क
पहला तर्क- केवी सुब्रमण्यम ने कहा, "अगर आप भारत की न्यायिक व्यवस्था को देखें, तो इसमें कोई तब तक किसी व्यक्ति या संस्था को तब तक दोषी नहीं ठहराती, जब तक की उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत न हो. मैंने एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट देखी है. इसके दो मेंबर केवी कामथ और सोमशेखर सुंदरेशन को मैं अच्छी तरह से जानता हूं. इन दोनों की एक्सपिटीज से मैं वाकिफ हूं. ये ऐसे व्यक्ति हैं, जो किसी के प्रभाव में आकर नहीं, बल्कि अपनी समझ से किसी नतीजे पर पहुंचते हैं. ये इंडिपेंडेंट लोग हैं, जो अपनी सूझबूझ से निष्कर्ष निकालते हैं."
दूसरा तर्क- केवी सुब्रमण्यम ने कहा, "ये पैटर्न आजकल ज्यादातर कमेटी की रिपोर्ट में देखा जा रहा है. जब कोई मैसेज आपके पक्ष में नहीं होता, तो ऐसे राजनीतिक बयान दिए जाते हैं. ये एक ट्रेंड हो गया है कि जब आपको मैसेज अच्छा लगता है, तो मैसेंजर की वाहवाही करते हैं और मैसेज पसंद नहीं आने पर मैसेंजर की आलोचना करते हैं."
सेबी ने कमेटी से शेयर किया था सारा डेटा
सुब्रमण्यम ने आगे कहा, "इसके अलावा अगर हम कुछ टेक्निकल बातों पर गौर करें तो, सेबी ने इस मामले में सारा डेटा एक्सपर्ट कमेटी से शेयर किया है. कमेटी ने इसमें सबूत भी जुटाए. इसके बाद कमेटी ने यह पाया कि ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है, जिससे कि ये साबित किया जा सके कि कोई फ्रॉड हुआ था."
उन्होंने आगे कहा कि एक्सपर्ट कमेटी ने तीन विषयों पर गौर किया है. पहला- 25 फीसदी पब्लिक शेयर होल्डिंग. दूसरा- रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन. तीसरा- स्टॉक प्राइस में हेरफेर. इन तीनों के कोई सबूत नहीं मिले हैं. इसलिए कमेटी ने अदाणी ग्रुप को क्लीन चिट दी है.
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