Bhima Koregaon case:एलगार परिषद मामले में कार्यकर्ता रोना विल्सन की गिरफ्तारी के एक साल पहले उनके स्मार्टफोन में एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर मौजूद था. नए फोरेंसिक विश्लेषण में यह जानकारी सामने आयी है. विश्लेषण के अनुसार कैदियों के अधिकार संबंधी कार्यकर्ता विल्सन जून 2018 में अपनी गिरफ्तारी से करीब एक साल पहले 'निगरानी और आपत्तिजनक दस्तावेज़ आपूर्ति' का शिकार थे. डिजिटल फोरेंसिक कंपनी आर्सेनल कंसल्टिंग ने कहा कि विल्सन के एप्पल फोन को न केवल इज़राइली एनएसओ ग्रुप के एक ग्राहक द्वारा निगरानी के लिए चुना गया था, बल्कि कई मौकों पर समझौता भी किया गया था.
विश्लेषण से पता चला है कि भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी विल्सन के आईफोन 6 एस के दो बैकअप में डिजिटल निशान थे जो पेगासस निगरानी टूल से प्रभावित दिख रहे थे. पेगासस विकसित करने वाली इजराइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ग्रुप ने कहा है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही लाइसेंस दिया गया है. भारत सरकार ने न तो पुष्टि की है और न ही इस बात से इनकार किया है कि वह एनएसओ ग्रुप की ग्राहक है.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के राष्ट्रीय महासचिव वी सुरेश ने कहा कि नए निष्कर्ष मामले में पुख्ता सबूत प्रकट करते हैं. उन्होंने कहा, 'अब ठोस सबूत हैं. हम नए प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के आधार पर इन निष्कर्षों को प्रमाणित करने के लिए सभी कानूनी संभावनाएं तलाश रहे हैं.''