पहलगाम हमले पर भड़के आचार्य प्रशांत, बोले- 'आतंकी याद रखें, ये गीता की धरती है'

Terror Attack in Pahalgam: पहलगाम हमले को लेकर आचार्य प्रशांत ने कहा कि जीवन का मतलब ही है कि यहां हर तरह के लोग मौजूद होंगे. श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि तुम्‍हें याद नहीं है कि लेकिन मैं और तुम सदा से रहे हैं. बस मुझे याद है, लेकिन तुम्‍हे याद नहीं है, बात बस इतनी सी है. इससे ये भी स्‍पष्‍ट है कि दुर्योधन और शकुनी जैसे लोग भी तो हमेशा से रहे हैं.

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Acharya Prashant on Pahalgam Attack: पहलगाम हमले पर आचार्य प्रशांत का कहना है कि यह आतंकी हमला कोई चौंकानेवाला नहीं...
नई दिल्‍ली:

Acharya Prashant on Pahalgam Terror Attack: पहलगाम हमले (Pahalgam Attack) को लेकर देशभर में गुस्‍सा है. इस आतंकी घटना में 26 बेकसूर लोगों की जान चली गई. मशहूर लेखक और प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन के प्रमुख आचार्य प्रशांत (Acharya Prashant) ने पहलगाम हमले पर गुस्सा जाहिर करते हुए आतंकियों को चेताया है कि भारत, गीता की धरती है और गीता को मानने वाले कभी भी अन्याय के खिलाफ घुटने नहीं टेकेंगे. हर बार असुरों का संहार करेंगे.  

आचार्य प्रशांत ने कहा, 'जब भी कहीं कोई विभत्‍स, बर्बर और अन्‍यायपूर्ण घटना होती है, तो वो कोई चौंकानेवाली बात होनी नहीं चाहिए. जीवन का मतलब ही है कि यहां हर तरह के लोग मौजूद होंगे. श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि तुम्‍हें याद नहीं है कि लेकिन मैं और तुम सदा से रहे हैं. बस मुझे याद है, लेकिन तुम्‍हे याद नहीं है, बात बस इतनी सी है. इससे ये भी स्‍पष्‍ट है कि दुर्योधन और शकुनी जैसे लोग भी तो हमेशा से रहे हैं. श्रीकृष्‍ण और अर्जुन जब हमेशा से हैं, तो कौरव पक्ष भी हमेशा से है. वो कौरव पक्ष नए-नए रूप लेकर प्रकट होता रहता है. यहीं बात दुर्गासप्‍तशती में हमें विस्‍तार रूप से पता चलती है. ग्रंथ जब समापन की ओर बढ़ता है, तो देवी ये जो असुर हैं, जिनका संहार हो गया है, चंड-मुंड ये सब वापस आएंगे. जब ये वापस आएंगे, तो हे देवताओं तुम्‍हें मेरी फिर जरूरत होगी. तो इनका वापस आना वास्‍तव में कोई चौंकाने वाली बात नहीं है.' 

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आचार्य प्रशांत ने कहा कि आतंकियों को याद रखना चाहिए कि ये गीता की धरती है. उन्‍होंने कहा, 'चौंकानेवाली बात मुझे यह लगती है कि हम बुरी शक्तियों से लड़ने के बारे में सोच लेते हैं, बिना गीता के और बिना शक्ति के. अगर अर्जुन को गीता का ज्ञान नहीं मिलता तो वह एक भी बाण नहीं चला पाते. गीता चाहिए होती है. सारे के सारे देवता एक साथ थे, लेकिन फिर भी असुरों का सामना नहीं कर पा रहे थे. असुरों से लड़ने के लिए देवीयता चाहिए, शक्ति चाहिए और शायद वहीं पर चूक हो जाती है.'

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आचार्य प्रशांत कहते हैं कि बिना गीता के महाभारत नहीं जीती जा सकती थी. उन्‍होंने कहा, ' जब भी कोई असुरी शक्तियां सामने आती हैं, कौरवों जैसा अन्‍याय करने वाला पक्ष आता है, तो हम कहते हैं कि इनका सामना हम अस्‍त्र-शस्‍त्र से कर लेंगे. शस्‍त्र बल बुद्धि बल से कर लेंगे, लेकिन आपको गीता बल चाहिए. बिना गीता के महाभारत जीती नहीं जा सकती थी. वहीं, पर हम चूक कर रहे हैं. भारत ने अपने वास्‍तविक धर्म ग्रन्‍थों को सिर्फ पूजने की चीज बना दिया है. समझकर जीने की चीज बहुत कम लोगों ने बनाया है. जो गीता को समझने लग गया, वो कभी परास्‍त नहीं हो सकता है, क्‍योंकि उसमें डर ही नहीं बचेगा. वो कहेगा सही संघर्ष है तो करना है. भारत अगर गीता के ज्ञान के साथ रहेगा, तो हार तो संभव नहीं है.'

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