'एंजेल टैक्स' खत्म करने से स्टार्टअप इकोसिस्टम होंगे मजबूत: अर्थशास्त्री कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम

रिसर्च ये कहते हैं कि प्रोफेशनल जैसे डॉक्टर्स, इंजीनियर्स वगैरह उतना टैक्स नहीं देते, जितने हम सैलरीड क्लास के लोग देते हैं. ऐसे में बजट में सरकार को सैलरीड क्लास का थोड़ा और ख्याल रखना चाहिए था. इसपर आगे काम किया जाना चाहिए.

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नई दिल्ली:

इस बार के बजट में सरकार ने रोजगार पर खासा फोकस रखा है. रोजगार को लेकर काफी सारे कदम उठाए गए हैं. इसमें 500 कंपनियों में इंटर्नशिप का ऐलान भी है. इस स्कीम से युवाओं को सीखने का मौका मिलेगा. उससे जो ट्रेनिंग मिलेगी, वो बहुत अहम है. फर्स्ट टाइम एम्प्लॉयर और एम्प्लॉयी के बीच प्रोविडेंट फंड की लागत सरकार उठाएगी. इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जॉब्स पर भी फोकस किया गया है.

मिल-जुलाकर देखें तो बजट में रोजगार पर बहुत ज्यादा फोकस रखा गया है. एंजेल टैक्स को हटाया गया है, इससे स्टार्टअप्स करने वाले को फायदा होगा. कई बार स्टार्सअप्स में टैक्स अथॉरिटी के साथ एंजेल टैक्स को लेकर मुद्दे आ जाते हैं. इसे हटाने का हमारे टैक्स इकोसिस्टम के लिए अच्छा कदम होगा. क्योंकि स्टार्टअप इकोसिस्टम भी रोजगार में बड़े पैमाने पर इजाफा करते हैं.

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अगर हम ईजी ऑफ डूइंग पर बात करें, तो वित्त मंत्री ने इसमें भी बड़े ऐलान किए हैं. निर्मला सीतारमण ने बताया कि अगले 6 महीने में नया टैक्स कोड लागू किया जाएगा. हमारी अभी की टैक्स कोड 1961 की है. इसे 80 साल से ऊपर हो गए हैं. इसमें कई सारे संशोधन हुए, जिससे वास्तव में इसकी 'खिचड़ी' बन गई है. लिहाजा इसे बदलना बहुत बड़ा कदम है.

इसके अलावा 1 फरवरी को पेश हुए अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने इनोवेशन में जोर दिया गया था. इस बार रिसर्च फाउंडेशन के साथ इनोवेशन को काफी जोर मिलेगा.

हालांकि, बजट में सरकार एक-दो और चीज कर सकती थी. मिडिल क्लास को टैक्स के जरिए थोड़ा और बेनिफिट दिया जा सकता था. रिसर्च ये कहते हैं कि प्रोफेशनल जैसे डॉक्टर्स, इंजीनियर्स वगैरह उतना टैक्स नहीं देते, जितने हम सैलरीड क्लास के लोग देते हैं. ऐसे में बजट में सरकार को सैलरीड क्लास का थोड़ा और ख्याल रखना चाहिए था. इसपर आगे काम किया जाना चाहिए.

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बता दें जब कोई स्टार्टअप किसी इंवेस्टर्स से पैसा जुटाती है, और इंवेस्ट की रकम स्टार्टअप के शेयरों के उचित मार्केट वैल्यू से ज्यादा हो, तो ऐसे में उस स्टार्टअप को एंजेल टैक्स चुकाना पड़ता है. इस टैक्स को इसलिए लाया गया था, ताकि ब्लैक मनी को ऐसे इंवेस्टमेंट की मदद से सफेद न बनाया जा सके.

(भारतीय अर्थशास्त्री कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम IMF के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर हैं.)
 

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