पंजाब में आप की जीत शानदार एवं असाधारण, किंतु राजनीतिक प्रतिष्ठान पर अभियोग: योगेद्र यादव

योगेंद्र यादव ने कहा कि पार्टी को ‘‘संघवाद समझना होगा तथा क्षेत्रीय संवेदना का सम्मान करना होगा’’ क्योंकि पंजाब को सदैव केंद्रीय नियंत्रण ‘अरूचिकर’ लगा है तथा उसने ‘दिल्ली दरबार’ को खारिज कर दिया है.

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योगेंद्र यादव ने कहा कि पंजाब में पिछले पांच साल में आप बिखरी रही और उसके नेता छोड़कर जाते रहे
नई दिल्ली:

स्वराज इंडिया के अध्यक्ष एवं पूर्व आप नेता योगेंद्र यादव ने पंजाब में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी की जीत को ‘‘शानदार एवं असाधारण' बताया लेकिन कहा कि यह चुनावी रण में किसी भी पार्टी की सफलता से अधिक ‘समूचे राजनीतिक प्रतिष्ठान' पर ‘‘अभियोग'' है. उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि राज्य के मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी (आप) को अपना जनादेश दिया है क्योंकि वह स्वयं को ‘नजर आने वाले एकमात्र राजनीतिक विकल्प' के रूप में पेश कर पायी.

उन्होंने वे पांच चुनौतियों भी गिनायीं जिनसे आप को सत्ता में आने के बाद जूझना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि पार्टी को ‘‘संघवाद समझना होगा तथा क्षेत्रीय संवेदना का सम्मान करना होगा'' क्योंकि पंजाब को सदैव केंद्रीय नियंत्रण ‘अरूचिकर' लगा है तथा उसने ‘दिल्ली दरबार' को खारिज कर दिया है.

उन्होंने कहा कि आप ‘दिल्ली दरबार' है और वह दिल्ली से नियंत्रित होती है. उन्होंने कहा, ‘‘ कहने की कोई जरूरत नहीं है कि पंजाब में उनकी जीत शानदार एवं असाधारण है. असल प्रश्न है कि क्या यह आम आदमी पार्टी की जीत है या समूचे राजनीतिक प्रतिष्ठान की हार है.''

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यादव ने कहा कि पंजाब में पिछले पांच साल में आप बिखरी रही और उसके नेता छोड़कर जाते रहे, पार्टी ने कोई आंदोलन या प्रदर्शन नहीं शुरू किया.

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उन्होंने कहा, ‘‘उसने पिछले पांच साल में विपक्ष की भूमिका नहीं निभायी. उसके बाद उसे सत्तासीन होन का जनादेश मिला. मेरे विचार से यह दर्शाता है कि यह राजनीतिक प्रतिष्ठान पर अभियोग से कहीं अधिक है जिसे आम आदमी पार्टी पर मुहर लगाने के रूप में स्पष्ट देखा जा सकता है.''

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उन्होंने कहा कि यह आप के लिए ‘‘उम्मीदों का मत'' है क्योंकि लोगों ने महसूस किया कि ‘कम से कम कोई नया व्यक्ति' किसी अन्य से बेहतर तो होगा.

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जब यादव से सवाल किया गया कि क्या पंजाब में पार्टी के शानदार प्रदर्शन का श्रेय उसके राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को जाता है, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने ‘लगन एवं राजनीतिक विवेक' दिखाया है और राज्य को विकल्प देने के लिए पार्टी को एकजुट रखा.

आम आदमी पार्टी से 2015 में निकलने के बाद से ही केजरीवाल के कटु आलोचक रहे यादव ने कहा, ‘‘मैं (आप के) शासन के मॉडल को लेकर आश्वस्त नहीं हूं, मुझे यकीन नहीं है कि कोई ऐसा मॉडल है भी.''

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मतलब है कि मेरी हमेशा सोच रही कि गुजरात का शासन मॉडल कोई हकीकत नहीं है, उसी तरह मुझे शासन के दिल्ली मॉडल पर भी शक है.''

उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब को केंद्रीय नियंत्रण सदैव अरूचिकर रहा है. दिल्ली दरबार पंजाब राजनीति के लिए चिढ़ रही है. पिछले 500 सालों के दौरान उन्होंने दिल्ली दरबार का नियंत्रण कभी स्वीकार नहीं किया.''

स्वराज इंडिया के नेता ने कहा, ‘‘आप दिल्ली दरबार है, उसका नियंत्रण दिल्ली से होता है. इसलिए यह उनके लिए संघवाद को समझना एवं क्षेत्रीय भावनाओं का आदर करना पहली चुनौती है, जिसे वे अबतक बिल्कुल नहीं समझ पाये हैं.''

यादव ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के विरूद्ध किसान आंदोलन ने एक ऐसी जमीन तैयार की जिसपर सवार होकर आप ने अपनी विजय की यात्रा की लेकिन ‘कृषि और खेतीबारी की उनकी समझ अबतक नहीं के बराबर है.''

उन्होंने कहा, ‘‘यह शहरी पार्टी है, उसे कृषि की समझ नहीं है. इसलिए कृषि, किसानों, उनकी जरूरतों, उनके स्वभाव को समझना उसकी दूसरी चुनौती बनने जा रही है.

यादव ने कहा कि पंजाब में आप को ‘हिंदुओं से कहीं ज्यादा सिखों' ने सत्ता में पहुंचाया है और पंजाब कुछ अल्पसंख्यक राज्यों में एक है , पार्टी को यह सुनिश्चित करना होगा कि देश में अल्पसंख्यकों की ‘भावनाओं एवं आकांक्षाओं के साथ न्याय हो.

उन्होंने कहा, ‘‘आज की पूरी राजनीति भाजपा का नकल करने की रहर है. उसने अबतक नरम हिंदुत्व का सौदा किया है. इसलिए क्या वह देश में अल्पसंख्यकों की भावनाओं एवं आकांक्षाओं के साथ न्याय कर पायेगी. यह तीसरी चुनौती है.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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