आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि जो जानकारी मैं आपको देने जा रहा हूं वह शायद तिहाड़ जेल के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ. अधिकारी मोहरा है, ऊपर से आकाश जो आदेश देते हैं अधिकारी उसको लागू कर देते हैं. जेल मैन्युअल का नियम 602 और 605 यह कहता है कि किसी की भी मुलाकात फेस टू फेस करवाई जा सकती है और यह अधिकार जेल प्रशासन को होता है.
जब केजरीवाल जी की पत्नी सुनीता केजरीवाल मुलाकात के लिए आवेदन करती हैं तो उनको कहा जाता है आप फेस टू फेस मीटिंग नहीं कर सकते. आप कहीं किसी कमरे में बैठकर मीटिंग नहीं कर सकते. आपको जंगले से मुलाकात करनी होगी. इतना अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है. जबकि किसी तिहाड़ जेल में एक नहीं बल्कि इतिहास उठाकर देखेंगे तो सैकड़ो मुलाकाते फेस टू फेस करवाई गई है. लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री की उनकी पत्नी से मुलाकात एक अमानवीय तरीके से अपमानित और उनके मनोबल को तोड़ने के उद्देश्य से मुलाकाती जंगले में करवाई जा रही है.
"पंजाब के सीएम को मिलने नहीं दिया गया"
संजय सिंह ने कहा, पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं की खूंखार अपराधियों की भी मुलाकात बराक मैं होती है. जबकि दिल्ली के तीन बार के मुख्यमंत्री की उनकी पत्नी से मुलाकात जंगले से कराई जाती है. हमारे वकील साहब ने आवेदन किया तो उनको टोकन नंबर 4152 दे दिया गया. इसके तहत पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और संजय सिंह की अरविंद केजरीवाल से मुलाकात तय होती है. अचानक मुलाकात के एक दिन पहले रात को मेल आता है. एक मुख्यमंत्री और संसद की मुलाकात को कैंसिल कर दिया जाता है. कहा जाता है कि आपकी सुरक्षा की दृष्टि से आपकी मुलाकात इतनी शॉर्ट नोटिस पर नहीं करवाई जा सकती.
इसका मतलब इनको पहले नहीं पता था कि भगवंत मान एक राज्य के मुख्यमंत्री हैं? इनको पता ही नहीं था कि इन्होंने किसको टोकन नंबर जारी कर दिया है? 602 और 605 के तहत हमने मुलाकात करवाने के लिए कहा तो कहा गया कि नहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री और पंजाब के मुख्यमंत्री की मुलाकात भी जंगले के आर पार बैठकर ही होगी.
इसी तिहाड़ जेल के अंदर जब सुब्रत राय सहारा थे तो उनकी मुलाकात इंटरनेट फोन ऑफिस की सुविधाओं के साथ पता नहीं कितनी बार करवाई गई. चंद्रा ब्रदर्स की इसी जेल के अंदर मीटिंग होती थी. जिससे चाहते थे उससे मिल सकते थे. कागज पर साइन कर सकते थे.
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