मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले के बाद राज्य के समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए मंगाई गई स्पीड बोटों के रखरखाव में बड़े पैमाने पर हेरफेर और भ्रष्टाचार होने का मामला सामने आया है. राज्य पुलिस के अपर महासंचालक सुनील रामानंद की शिकायत पर मामले में पुणे के चतु: श्रृंगी पुलिस थाने में FIR दर्ज की गई है. पुलिस ने आईपीसी की धारा 177,197,406,409,420,34 के तहत मामला दर्ज किया है.
मामले में स्पीड बोट के रख रखाव के लिए जिम्मेदार एक्वेरियस शिपयार्ड प्राइवेट लिमिटेड (Aquarius shipyard pvt limited) के रत्नाकर दांडेकर, ब्रिलियंट सीगल प्राइवेट लिमिटेड (Brilliant seagull pvt limited) के अधिकारी, गोवा शिपयार्ड प्राइवेट लिमिटेड (Goa Shipyard pvt ltd) के अधिकारियों के साथ राज्य सरकार के संबंधित विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों को भी आरोपी बनाया गया है. पुलिस थाने में दर्ज FIR के मुताबिक मामले में कुल 7 करोड़ 23 लाख के करीब का भ्रष्टाचार हुआ है.
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FIR में अपर महासंचालक ने बताया है कि 26/11 आतंकी हमले के बाद समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए गोवा शिपयार्ड प्राइवेट लिमिटेड और मरीन फ्रंटियर्स प्राइवेट लिमिटेड से 57 स्पीड बोट मंगाई गई थी. इनमे से 29 बोट के रखरखाव और मरम्मत का ठेका गोवा शिपयार्ड लिमिटेड को दिया गया था. गोवा शिपयार्ड ने बाद में उनमें से16 स्पीड बोट के रखरखाव और मरम्मत का काम एक्वेरियस शिपयार्ड प्राइवेट लिमिटेड को दे दिया और 13 स्पीड बोट के रखरखाव और मरम्मत का काम ब्रिलियंट सीगल प्राइवेट लिमिटेड को सौंप गया. FIR के मुताबिक दोनों कंपनियों ने स्पीड बोट के मरम्मत के दौरान असली इंजन और उसके कई पार्ट विदेशी और पुराने उपकरणों से बदल दिए, जो करार की शर्तो के खिलाफ था.
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