1,2,3... बाप रे बाप, एक ऑटोरिक्‍शा से निकले 22 बच्‍चे! वीडियो देख हर कोई हैरान

तेलंगाना का एक हैरान कर देने वाला वीडियो सामने आया है. पीले रंग के ऑटोरिक्‍शा को एक ट्रैफिक पुलिस अधिकारी ने रोका और फिर सभी बच्‍चों को नीचे उतारा गया. एक-एक कर जब बच्‍चे ऑटोरिक्‍शा से उतरने लगे, तो गिनते-गिनते लोग हैरान रह गए.

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एक ऑटोरिक्‍शा में 22 बच्‍चे! ट्रैफिक पुलिसवाले ने देखा तो उड़ गए होश
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  • तेलंगाना के नगरकरनूल में एक ऑटोरिक्‍शा में 22 बच्‍चे अपने स्‍कूल बैग के साथ सवार पाए गए
  • ऑटोरिक्‍शा ड्राइवर को ट्रैफिक पुलिस ने रोका और सभी बच्‍चों को नीचे उतरने को कहा गया
  • वीडियो में बच्‍चे स्‍कूल ड्रेस में दिखे, जिनमें नर्सरी से लेकर पांचवीं कक्षा के छात्र शामिल थे
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नगरकरनूल:

ऑटोरिक्‍शा में एक-दो नहीं, 22 बच्‍चे! आपको सुनकर शायद यकीन न हो, लेकिन एक ऑटोरिक्‍शा में 22 बच्‍चे अपने स्‍कूल बैग के साथ बैठे हुए थे. ट्रैफिक पुलिस अधिकारी ने जब ऑटोरिक्‍शा ड्राइवर को रोका, तो उसके भी होश उड़ गए. मामला तेलंगाना के नगरकरनूल का है. जहां कुछ प्राइवेट स्‍कूल के बच्‍चे ऑटोरिक्‍शा में बैठकर जा रहे थे. इनमें कुछ बहुत छोटे बच्‍चे भी शामिल थे, जो शायद नर्सरी क्‍लास में पड़ते होंगे. इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. 

पीले रंग के ऑटोरिक्‍शा में ठूंसे गए बच्‍चों के वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एक-एक करके छात्र नीचे उतर रहे हैं. ये सभी स्‍कूल ड्रेस में हैं. ये कुछ नर्सरी तो कुछ दूसरी और तीसरी कक्षा के छात्र लग रहे हैं. ऑटोरिक्‍शा में को एक ट्रैफिक पुलिस अधिकारी ने रोका था और फिर सभी बच्‍चों को नीचे उतारा गया. एक-एक कर जब बच्‍चे ऑटोरिक्‍शा से उतरने लगे, तो गिनते-गिनते लोग हैरान रह गए. ऑटो में पूरे 22 बच्‍चे अपने स्‍कूल बैग और पानी की बोटल के साथ सवार थे. 

ये सभी छात्र तेलंगाना के नगरकरनूल स्थित एक प्राइवेट स्‍कूल के बताए जा रहे हैं. अब सवाल ये उठ रहा है कि प्राइवेट स्‍कूल के छात्र ऐसे ऑटोरिक्‍शा में क्‍यों ठंसे गए थे? बताया जा रहा है कि राज्‍य के ज्‍यादातर प्राइवेट स्‍कूल बस के नाम पर काफी महंगा किराया वसूल करते हैं. ऐसे में महंगी फीस के साथ कई पैरेंट्स ट्रैवल का खर्च नहीं उठा पाते हैं. इसलिए वे अपने बच्‍चों को जान में जोखिम डालकर ऑटोरिक्‍शा में भेजने को मजबूर हैं.

तेलंगाना में ऐसे एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों ऑटोरिक्‍शा सुबह-शाम सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जिनमें जानवरों की तरह बच्‍चों को ठूंसा जाता है. राज्‍य के शिक्षा विभाग को इस ओर ध्‍यान देना चाहिए.  

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