21 दिन इधर-उधर हो तो फर्क नहीं पड़ना चाहिए... केजरीवाल को जमानत देते हुए SC के सामने क्यों नहीं टिके ED के तर्क?

अदालत ने केजरीवाल को 50,000 रुपये का बेल बॉन्ड भरने को कहा है. रिहाई के लिए 50 हजार निजी मुचलका भी देना होगा. हालांकि, केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट जाने की जरूरत नहीं है.

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ED ने अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को अरेस्ट किया था.
नई दिल्ली:

दिल्ली के शराब नीति केस (Delhi Excise Policy Case) में कथित घोटाले के आरोप में 40 दिन से तिहाड़ जेल में बंद सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ी राहत मिल गई है. कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को 1 जून तक जमानत दे दी. इस दौरान वह लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में बाकी बचे 4 फेज के लिए प्रचार कर सकेंगे. हालांकि, उन्हें किसी भी हाल में 2 जून को सरेंडर करना होगा. शराब नीति केस की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोर्ट में केजरीवाल की जमानत का विरोध किया. लेकिन अदालत ने कहा कि अगस्त 2022 में ED ने केस दर्ज किया. उन्हें मार्च 2024 में गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तारी बाद में या पहले हो सकती थी. 21 दिन इधर या उधर से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए.

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गौर करने वाली बात है कि अरविंद केजरीवाल ने इस केस में खुद के लिए जमानत नहीं मांगी थी. आइए जानते हैं कि बिना मांगे केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से कैसे अंतरिम जमानत मिल गई. 

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ED ने क्या दी दलीलें?
केजरीवाल की रिहाई का विरोध करते हुए ED का कहना था कि चुनाव प्रचार जमानत का आधार नहीं हो सकता. क्योंकि ये कोई मौलिक या कानूनी अधिकार नहीं हो सकता है. ED ने ये भी कहा था कि जमानत देने से गलत मिसाल कायम होगी.

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अदालत ने क्या-क्या कहा?
- अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में एक अहम टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा, "इस वक्त देश में सबसे अहम चुनाव हो रहे हैं. राष्ट्रीय महत्व के लोकसभा चुनाव में देश के कुल 97 करोड़ मतदाताओं में से करीब 65 से 70 करोड़ वोटर्स अगले 5 साल के लिए देश की सरकार चुनेंगे. आम चुनाव लोकतंत्र को संजीवनी प्रदान करता है. हम ED की इस दलील को खारिज करते हैं कि केजरीवाल को बेल देना उन्हें आम जनता की तुलना में ज्यादा विशिष्ट स्थान देगा." 

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-सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "जांच एजेंसी का यह तर्क बिल्कुल सही है कि अरविंद केजरीवाल को 9 समन जारी किए गए. उसके बावजूद उन्होंने समन का पालन नहीं किया. ED का यह तर्क जाहिर तौर पर केजरीवाल के खिलाफ जाता है, लेकिन जमानत देते हुए हमने अन्य पहलुओं पर भी विचार किया है." 

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-कोर्ट ने कहा, "अभी अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं. राष्ट्रीय दल के नेता और संयोजक भी हैं. उनके ऊपर जो आरोप लगाए गए हैं, वह गंभीर हैं. लेकिन अभी तक उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है. उनका न तो कोई आपराधिक इतिहास है. और न ही समाज को उनसे कोई खतरा है." 

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "अरविंद केजरीवाल को जमानत देना कोई अनोखा मामला नहीं है. ऐसे कई मौकों पर सुप्रीम कोर्ट ने कई आरोपियों को अंतरिम जमानत दी है."

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "मामला अगस्त 2022 से पेंडिंग है. केजरीवाल को 21 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया गया था. डेढ़ साल ED कहां थी. गिरफ्तारी पहले या बाद में हो सकती है. 21 दिन इधर-उधर हो जाए तो इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए."

-अदालत ने कहा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री हैं. वो कोई आदतन अपराधी नहीं हैं. यह एक असाधारण स्थिति है. चुनाव 5 साल में एक बार होता है. यह फसल की कटाई जैसा नहीं है कि हर 4-6 महीने में होगी. 

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केजरीवाल की जमानत पर पोस्टर वॉर शुरू
इस बीच अरविंद केजरीवाल की जमानत को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच पोस्टर वॉर शुरू हो गया है. AAP ने केजरीवाल का एक कोलाज शेयर करते हुए कैप्शन लिखा- "सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं."

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BJP ने बताया- शराब घोटाले का सरगना
केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिलने के बाद दिल्ली BJP के X हैंडल से भी एक फोटो शेयर किया गया. इसमें अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले का सरगना बताया गया है.

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BJP ने X पर लिखा- "आज जिस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी और उसके नेता सत्यमेव जयते कह रहे हैं, शायद उस फैसले को पूरा नहीं पढ़ा? उस फैसले में यह स्पष्ट है कि केजरीवाल को सिर्फ 1 जून तक अंतरिम जमानत मिली है. उसमें स्पष्ट है कि केजरीवाल को लौट कर तिहाड़ ही जाना है."

BJP ने लिखा, "शराब घोटाले के सरगना केजरीवाल के ऊपर से न ही तो भ्रष्टाचार के दाग धुले हैं और न ही उन्हें आरोपों से मुक्ति मिली है. भ्रष्ट केजरीवाल शराब घोटाले के सरगना थे. इस बात का सबूत भी कोर्ट के पास है. वरना एक हार्डकोर क्रिमिनल की तरह केजरीवाल को 2 जून को सरेंडर करने के लिए नहीं बोला गया होता. न ही इतनी शर्तें लगाई होती."

कब अरेस्ट हुए थे केजरीवाल?
प्रवर्तन निदेशालय ने अरविंद केजरीवाल को शराब नीति केस में पूछताछ के लिए अलग-अलग समय में 9 समन भेजे थे. केजरीवाल ने किसी भी समन का जवाब नहीं दिया था. इसके बाद ED ने  केजरीवाल को 21 मार्च को अरेस्ट किया था. ED ने 22 मार्च को उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने उन्हें 28 मार्च तक ED की रिमांड पर भेजा. इसकी मियाद बाद में 1 अप्रैल तक बढ़ाई गई. इसके बाद कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया. उसके बाद से उनकी न्यायिक हिरासत की डेट बढ़ाई जा रही थी.

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सुप्रीम कोर्ट ने किन 4 शर्तों पर दी अंतरिम जमानत?
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए 4 शर्तें रखी हैं.
1- अंतरिम जमानत के दौरान वो मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय नहीं जाएंगे.
2- जब तक कि लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) की मंजूरी के लिए कोई फाइल जरूरी न हो, तब तक केजरीवाल किसी सरकारी फाइल पर साइन नहीं करेंगे.
-केजरीवाल मौजूदा शराब नीति केस पर किसी भी तरह का बयान नहीं देंगे.
-वह मौजूदा केस से जुड़े किसी गवाह से नहीं मिलेंगे और न इससे जुड़े फाइल देखेंगे.

अदालत ने केजरीवाल को 50,000 रुपये का बेल बॉन्ड भरने को कहा है. रिहाई के लिए 50 हजार निजी मुचलका भी देना होगा. हालांकि, केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट जाने की जरूरत नहीं है.

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