...जब कोर्ट में पीड़िता के पिता से जज ने कहा - 'हाथ ना जोड़े, बैठ जाएं'

जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी.

विज्ञापन
Read Time: 20 mins
सुप्रीम कोर्ट की एक तस्वीर
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के छावला में 2012 में हुए गैंगरेप और हत्या के मामले की सुनवाई के दौरान उस समय माहौल भावुक हो गया, जब पीड़िता के पिता कोर्ट रूम में अपना पक्ष रखने के लिए हाथ जोड़ कर खड़े हो गए. जस्टिस  उदय उमेश ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. जिसने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. 

दरअसल, पहले दोषियों के वकीलों ने अपना पक्ष रखा और मौत की सजा को कम करने की गुहार लगाई. फिर दिल्ली पुलिस की ओर से ASG ऐश्वर्या भाटी ने इसका विरोध किया. दोनों पक्षों के बाद पीड़ित परिवार की वकील ने पीठ से परिवार की दलीलें भी सुनने का आग्रह किया और बताया कि पीड़िता के पिता अदालत में मौजूद हैं. उसी समय पीड़िता के पिता हाथ जोड़कर खड़े हो गए और बेंच ने उनको देखा. बेंच की अगुवाई कर रहे जस्टिस ललित ने कहा कि वो पिता को हाथ जोड़े खड़े हुए देख रहे हैं लेकिन उनको कहा जाए की वो बैठ जाएं.

छावला रेप और हत्‍याकांड केस : तीन दोषियों की मौत की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

Advertisement

जस्टिस ललित ने कहा कि कानून की अदालत होने के नाते केस के तथ्यों के आधार पर फैसला दिया जाता है ना कि भावनाओं पर. चूंकि पीड़ितों की दलीलें भावनाओं पर आधारित होती हैं. इसलिए उनकी बातों पर विचार करने से केस दिशा से भटक सकता है. इसलिए उनको मामले में पक्ष रखने की इजाजत नहीं दी जा सकती. हालांकि, जस्टिस ललित ने कहा कि वो उस पीड़ा, दुख और दर्द को समझते हैं, जिससे पीड़ित परिवार गुजर रहा लेकिन अदालत को तथ्यों पर फैसला करना है.

Advertisement

जस्टिस ललित ने पूछा क्या परिवार को मुआवजा मिला है. वकील ने बताया कि कुछ मुआवजा मिला है. जस्टिस ललित ने कहा कि वो मामले की छानबीन करेंगे और आदेश में इसके बारे में लिखेंगे.

Advertisement
Featured Video Of The Day
BREAKING NEWS: Prayagraj में Parade Ground के पास Lallu Ji And Sons के गोडाउन में लगी भीषण आग | UP
Topics mentioned in this article