- संसद की संयुक्त समिति ने 130वें संविधान संशोधन बिल की पहली बैठक में व्यापक समीक्षा की प्रक्रिया शुरू की.
- बिल में प्रावधान है कि 30 दिनों तक जेल में रहने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पद छोड़ना होगा.
- कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत विरोधी दलों को भी समिति में अपनी राय देने के लिए बुलाया जाएगा.
130वें संविधान संशोधन बिल को लेकर संसद की संयुक्त समिति की गुरुवार को पहली बैठक हुई. इस बिल में प्रावधान है कि 30 दिनों तक लगातार जेल में रहने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के लिए पद छोड़ना अनिवार्य होगा. बिल को इस साल 21 अगस्त को मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में पेश कर विस्तृत समीक्षा के लिए संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने का फैसला किया गया था. हालांकि इस बिल की समीक्षा के लिए बनी संसद की संयुक्त समिति के गठन में काफी समय लग गया क्योंकि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे दलों ने इसका बहिष्कार किया था और अपने सदस्यों को इसमें नामित करने से इनकार कर दिया था.
काफी इंतजार के बाद आखिरकार पिछले महीने संयुक्त समिति का गठन हो सका, जिसका अध्यक्ष भुवनेश्वर से भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी को बनाया गया है. समिति की पहली बैठक में तय किया गया कि बिल पर अलग अलग क्षेत्रों से ताल्लुक रखने वाले विशेषज्ञों की राय ली जाएगी, जिससे बिल की व्यापक समीक्षा हो सके.
'बहिष्कार करने वालों को भी बुलाएंगे'
इसी को ध्यान में रखते हुए समिति ने अहम फैसला किया है. इसके तहत पहली बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला किया गया कि समिति उन दलों को भी अपनी राय देने के लिए बुलाएगी जिन्होंने इसका विरोध किया और अपने सदस्य समिति में शामिल होने के लिए नहीं भेजे. इनमें कांग्रेस, सपा, टीएमसी, डीएमके और आरजेडी जैसी पार्टियां शामिल हैं.
सूत्रों के मुताबिक, समिति जल्द ही इन पार्टियों को समिति की आने वाली बैठकों में अपनी राय देने के लिए आमंत्रित करेगी. समिति के एक सदस्य ने एनडीटीवी को बताया कि ये उन पार्टियों के ऊपर निर्भर करेगा कि वो इस आमंत्रण को स्वीकार करते हुए समिति को अपनी राय देती हैं या नहीं.
अलग-अलग राज्यों का भी दौरा करेगी समिति: सारंगी
बैठक के बाद समिति की अध्यक्ष अपराजिता सारंगी ने बताया कि पहली बैठक काफी सकारात्मक माहौल में हुई और सभी सदस्यों की सर्वसम्मत राय थी कि राजनीति के अपराधीकरण पर रोक लगाना जरूरी है. आने वाली बैठकों में इस विषय से जुड़े सभी विशेषज्ञों और संस्थाओं को बुलाया जाएगा ताकि व्यापक विचार विमर्श हो सके. समिति अलग-अलग राज्यों का भी दौरा करेगी ताकि उन राज्यों के संगठनों और राजनीतिक दलों की राय भी ली जा सके.
संयुक्त समिति की अगली बैठक 17 दिसंबर को
संयुक्त समिति की अगली बैठक 17 दिसंबर को होगी जिसमें गृह मंत्रालय के अधिकारी इस मुद्दे पर समिति के सामने अपना पक्ष रखेंगे. इसके अलावा उस बैठक में कानून और न्याय मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल होंगे.














