किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के चिकित्सा सहायता लेने के बाद उनके साथ एकजुटता दिखाने के लिए खनौरी विरोध स्थल पर आमरण अनशन पर बैठे 121 किसानों के एक समूह ने रविवार को अपना अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त कर दिया. डल्लेवाल (70) ने 26 नवंबर को आमरण अनशन पर बैठने के बाद कोई भी चिकित्सा सहायता को लेने से इनकार कर दिया था, लेकिन किसानों की मांगों पर चर्चा के लिए 14 फरवरी को बातचीत के लिए केंद्र का आमंत्रण मिलने के बाद वह शनिवार को चिकित्सा सहायता लेने पर सहमत हो गये.
उनकी तबीयत बिगड़ने और सरकार द्वारा उनकी मांगें नहीं मानने पर 111 किसानों का एक समूह खनौरी के पास हरियाणा की सीमा में 15 जनवरी को डल्लेवाल के आमरण अनशन में शामिल हो गया. इसके बाद 17 जनवरी को हरियाणा के 10 और किसान उनके साथ जुड़ गए.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रिय रंजन के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को किसान नेता डल्लेवाल और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उन्हें चंडीगढ़ में 14 फरवरी को वार्ता फिर से शुरू करने के लिए आमंत्रित किया.
हालांकि, किसान नेताओं ने कहा कि डल्लेवाल अपना अनिश्चितकालीन अनशन तब तक खत्म नहीं करेंगे, जब तक कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी नहीं दी जाती.
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसानों के साथ बातचीत के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को रविवार को एक बड़ी जीत बताया और अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के चिकित्सा सहायता लेने के फैसले का स्वागत किया.किसान संगठनों के साझा मंच ने एक बयान में कहा, ‘‘एसकेएम किसान संगठनों के साथ चर्चा करने के केंद्र सरकार के फैसले को एक बड़ी जीत मानता है।''
तीन निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ 2020-21 के किसानों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले इस साझा मंच ने कहा कि किसानों की बढ़ती एकता के कारण सरकार चर्चा करने के लिए मजबूर हुई. बयान के मुताबिक, ‘‘एसकेएम अनशन कर रहे किसान नेता सरदार जगजीत सिंह डल्लेवाल के चिकित्सा सहायता प्राप्त करने के निर्णय का स्वागत करता है और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता है।''
एसकेएम ने सभी किसानों से केंद्र सरकार के खिलाफ ‘‘जवाब देने और विरोध में खड़े होने'' तथा उसे ‘‘अपनी किसान विरोधी नीतियों को वापस लेने'' के लिए मजबूर करने का आह्वान किया। उसने कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा (एनपीएफएएम) को निरस्त कृषि कानूनों को वापस लाने का एक प्रयास करार दिया.
बयान के मुताबिक, एसकेएम की आम सभा की बैठक 24 जनवरी को नयी दिल्ली में होगी. किसान संगठनों के साझा मंच ने कहा, ‘‘एसकेएम एक बार फिर केंद्र सरकार से आह्वान करता है और चेतावनी देता है कि वह देश के अन्नदाताओं, किसानों के हितों के खिलाफ काम करने से बाज आए। एसकेएम सरकार को स्पष्ट रूप से सूचित और घोषणा करता है कि इस देश के किसान अपनी मांगों को लेकर एकजुट हैं, जिन्हें केंद्र सरकार को पूरा करना होगा और तब तक केंद्र सरकार के खिलाफ सभी रूपों में लोकतांत्रिक आंदोलन जारी रहेंगे।''