MP : 45 दिनों से हड़ताल पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, दो की तबियत बिगड़ने से हुई मौत, फिर भी नहीं पसीजा सरकार का दिल

मध्य प्रदेश में पिछले 45 दिनों से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हड़ताल पर बैठे हैं, जिसमें दो कार्यकर्ताओं की तबीयत बिगड़ने से मौत भी हो चुकी है.

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भोपाल:

मध्य प्रदेश में पिछले 45 दिनों से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हड़ताल पर बैठे हैं, जिसमें दो कार्यकर्ताओं की तबीयत बिगड़ने से मौत भी हो चुकी है. हालांकि, इन कार्यकर्ताओं का दावा है कि अब तक 4 आंदोलनकारियों की मौत हो चुकी है. इनकी मुख्य मांग है कि इन्हें सरकारी वेतन भोगी घोषित किया जाए, अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ मिले और उम्र सीमा का बंधन समाप्त किया जाए. कुछ दिनों पहले विदिशा में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका गांधी चौक से शहर की सड़कों पर निकली, हाथों में कटोरा था लोगों से भीख मांग रही थीं.

पारा 41 के पार है लेकिन पहले आंदोलनरत पार्वती अहिरवार उसके बाद सागर के तीन मढिया में शहनाज बानो बेहोश होकर गिरीं अस्पताल में दम तोड़ दिया. साथी फिर भी डटे हैं, गुस्सा इतना की जनाजे में पुलिस से भी भिड़ गये.

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 सागर से तीन कैबिनेट मंत्री हैं, पुलिस को आंदोलनकारियों ने ज्ञापन दिया कहा भाइयों को ढूंढकर लाएं. वैसे एक मंत्री भाई आए, मुख्यमंत्री का गुणगान किया चले गये. आंदोलनरत लीला शर्मा कहती हैं, हमारे भूपेन्द्र भैय्या कैबिनेट मंत्री है, दूसरा भाई गोपाल भार्गव है, तीसरे गोविंद भैय्या लेकिन यहां बहनें पानी के लिये मोहताज हैं, भाई शिवराज मौसी के लड़के हैं पहले अपने भाइयों को ढूंढ लें. जवाब में कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा हमारे मुख्यमंत्री संवेदनशील है, पिछले वर्ष लाभ की कई योजनाएं चलाई हैं खासकर महिलाओं के लिये प्रदेश गवाह हैं, मैं मुख्यमंत्री से बात करके इनका पक्ष रखूंगा.

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रीवा में भी अपने साथियों के समर्थन में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का जत्था निकला. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता श्वेता पांडे ने कहा हमारी जो बहनें हड़ताल में शहीद हुई हैं उनके लिये श्रद्धांजलि देने आए हैं उनके जिम्मेदार मुख्यमंत्री हैं. 4 बहनें शहीद हुई मुआवजा दिया जाए, परिवार में एक को नौकरी दी जाए.

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धार शहर में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने चक्का जाम कर दिया. वहीं धरमपुरी में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शमीम खान की मौत के बाद उनके साथी रोते बिलखते उनके लिये न्याय की मांग कर रहे हैं. उनकी बहन मुमताज बी ने कहा दबाव आता था आंगनवाड़ी सरकारी नौकरी थी, मां बुजुर्ग है वो किसके सहारे रहेंगे, इंसाफ चाहिये हमको. प्रशासन मांग मानना तो दूर, इन कर्मचारियों को धमकी दे रहा है. डिंडौरी जिले में तीन कार्यकर्ताओं को निलंबित कर दिया गया है. प्रदर्शनकारियों का आरोप है प्रशासन ने उनके टेंट, प्याऊ तक हटा दिया. आंदोलन में डटी बिमला गोयल ने कहा हमें बर्खास्त करने का लेटर दिया गया है, यहां से प्रताड़ित किया गया, आज हमारा पंडाल उखाड़ दिया.

इन कार्यकर्ताओं से बेरूखी तब हो रही है, जब राज्य के कुल 97139 आंगनवाड़ी केन्द्रों लगभग 84.90 लाख संपूर्ण बाल विकास कार्यक्रम में शामिल बच्चों के पोषण का जिम्मा है. जिन्हें 1,85,000 लोगों का मैदानी अमला संभालता है. लेकिन हालात ये हैं 29383 आंगनवाड़ी केन्द्र किराये से चलते हैं, 20247 केंद्र ऐसे है जहां शौचालय नहीं है. 93,795 केंद्रों में शिशु गृह नहीं है. 46,554 केंद्रों में रसोई घर, 15,928 केंद्रों पर उपकरणों के भंडारण की जगह, 75,700 केंद्रों पर बच्चों के बैठने की कुर्सियां उपलब्ध नहीं हैं.

64,148 केंद्रों में बिजली कनेक्शन ही नहीं है. जबकि 69923 केंद्रों में पंखा और 66394 केंद्रों में उजाले के लिए बल्ब उपलब्ध नहीं हैं. सरकार इन केन्द्रों पर सालाना लगभग 62 करोड़ रु खर्च करती है. सरकार की प्राथमिकता में बच्चों का पोषण, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सुध लेना हो या नहीं लोगों को तीर्थ दर्शन कराना ज़रूर है.

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