Emotionally Strong: आप में से कई लोग भावनात्मक रूप से बेहद कमजोर होते हैं. वह अपना दर्द तो छोड़ो दूसरे के दुखों पर भी खुद को संभाल नहीं पाते. जीवन में थोड़ी सी टक्कर क्या लगी मुंह के बल गिर जाते हैं और उठने की भी कोशिश नहीं करते. लेकिन यह बात आपको समझना होगा कि इस दौड़ती-भागती दुनिया में भावनात्मक रूप से कमजोर होने से बात नहीं बनेंगी और आपको भावनात्मक रूप से मजबूत बनना होगा और इसकी तैयारी भी आपको खुद ही करनी होगी.
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भावनात्मक रूप से वही व्यक्ति मजबूत हो सकता है तो मानसिक रूप से मजबूत है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो भावनात्मक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य दोनों अलग-अलग चीजें हैं. इसके बावजूद दोनों एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं. अगर आप मानसिक रूप से मजबूत हैं तो अपने भावनात्मक स्वास्थ्य पर आसानी से काबू कर सकते हैं. यानी विपरित परिस्थितियों में भी अपने इमोशन पर कंट्रोल कर सकते हैं.
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जो लोग भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं वो लोगों की बात का बड़ा बुरा मानते हैं, ओवर रिएक्ट करते हैं और खुद को सही साबित करने के तमाम उपाय करते हैं. वहीं अगर आप भावनात्मक रूप से मजबूत हैं तो आपको खुद को सही साबित करने की जरूरत नहीं होती.
नहीं होती कोई शिकायत
भावनात्मक रूप से मजबूत लोगों को किसी से कोई शिकायत नहीं होती है. वो मन के बेहद साफ होते हैं और खुद में विश्वास करते हैं.
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समस्याओं का करते हैं सामना
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि भावनात्मक रूप से मजबूत लोगों अपनी समस्याओं या परिस्थितियों से भागते नहीं बल्कि उसका डट कर सामना करते हैं.
खुद से करते हैं प्यार
भावनात्मक रूप से मजबूत लोगों की यह पहचान है कि वह खुद से प्यार करते हैं. किसी भी अनचाहे घटना के लिए खुद को जिम्मेदार और दोषी नहीं मानते.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.