शरीर और मन की शांति तक ही सीमित नहीं योग, ये 4 प्रकार हैं जीवन का आधार, क्या आप जानते हैं?

Deeper Meaning of Yoga Beyond Asanas: विशेषज्ञों का मानना है कि योग न केवल फिजिकल फ्लेक्सिबिलिटी और ताकत बढ़ाता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है. योग के कई रूप, जैसे हठ योग, राज योग, भक्ति योग और कर्म योग, अलग-अलग जरूरतों को पूरा करते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
योग के कई रूप, जैसे हठ योग, राज योग, भक्ति योग और कर्म योग.

4 Foundational Types of Yoga: भारत की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर योग आज विश्व स्तर पर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का पर्याय बन चुका है. योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि एक लाइफस्टाइल है, जो तनाव, बीमारियों और आधुनिक जीवन की चुनौतियों से निपटने में सहायक है. प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों द्वारा विकसित यह विद्या आज वैश्विक स्तर पर हेल्थ और वेलेस का प्रतीक बन चुकी है. विशेषज्ञों का मानना है कि योग न केवल फिजिकल फ्लेक्सिबिलिटी और ताकत बढ़ाता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है. योग के कई रूप, जैसे हठ योग, राज योग, भक्ति योग और कर्म योग, अलग-अलग जरूरतों को पूरा करते हैं.

यह भी पढ़ें: डॉक्टर ने बताया 30 दिन तक नींबू पानी पीने से क्या होगा, आप भी जान लीजिए और उठाएं फायदा

हठ योग

हठ योग, शारीरिक मुद्राओं और प्राणायाम (रेस्पिरेटरी कंट्रोल) पर केंद्रित है, जो शरीर को फ्लेक्सिबिल, स्ट्रॉन्ग और हेल्दी बनाता है. 'हठ' शब्द 'ह' (सूर्य) और 'ठ' (चंद्र) से मिलकर बना है, जो शरीर की ऊर्जा को संतुलित करने का प्रतीक है. यह योग का वह रूप है, जो मॉडर्न लाइफस्टाइल में हेल्थ और स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए सबसे लोकप्रिय है. यह आसन, प्राणायाम, मुद्राओं का समन्वय है, जो शरीर और मन को शुद्ध करता है. सूर्य नमस्कार, भुजंगासन और ताड़ासन जैसे आसन शारीरिक लचीलापन और मांसपेशियों की ताकत बढ़ाते हैं, जबकि अनुलोम-विलोम और कपालभाति जैसे प्राणायाम रेस्पिरेटरी सिस्टम को मजबूत करते हैं.

रोज योग

राज योग ध्यान और मानसिक अनुशासन पर जोर देता है. 'राज' अर्थात् 'श्रेष्ठ' योग, मन को कंट्रोल कर आत्म-साक्षात्कार और आंतरिक शांति का मार्ग प्रशस्त करता है. महर्षि पतंजलि के योगसूत्र में वर्णित अष्टांग योग राज योग का आधार है, जो यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि के माध्यम से मन की चंचलता को शांत करता है.

यह भी पढ़ें: नेचुरल तरीके से वजन कम करने के लिए बस 30 दिन तक फॉलो करें ये रूटीन, पतला होने से कोई नहीं रोक पाएगा

राज योग का लक्ष्य चित्त की वृत्तियों को कंट्रोल करना है, जैसा कि पतंजलि ने कहा, "योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः". यह फिजिकल एक्सरसाइज से ज्यादा मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास पर केंद्रित है. ध्यान, आत्म-निरीक्षण और एकाग्रता के माध्यम से यह व्यक्ति को तनाव, चिंता और नकारात्मक विचारों से मुक्ति दिलाता है. राज योग को 'आत्मा का विज्ञान' भी कहा जाता है, जो व्यक्ति को अपनी आंतरिक शक्ति और चेतना से जोड़ता है. विशेषज्ञ राज योग को आधुनिक जीवन की चुनौतियों का समाधान मानते हैं. स्वामी विवेकानंद ने राज योग को "मन की शक्ति को जागृत करने की कला" बताया है.

Advertisement

भक्ति योग

भक्ति योग प्रेम, समर्पण और श्रद्धा के माध्यम से परमात्मा से जुड़ने का मार्ग है. भगवद्गीता में भक्ति योग को 'ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण' के रूप में वर्णित किया गया है, जो मन को शुद्ध करता है और व्यक्ति को आंतरिक शांति व आनंद प्रदान करता है. यह योग भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुशासन पर केंद्रित है, जो प्रेम और भक्ति को जीवन का आधार बनाता है.

भक्ति योग का मूल तत्व है ईश्वर, गुरु या शक्ति के प्रति श्रद्धा और निस्वार्थ प्रेम. यह भजन, कीर्तन, प्रार्थना, पूजा और सेवा जैसे अभ्यासों के माध्यम से व्यक्त होता है. नारद भक्ति सूत्र में भक्ति को 'परम प्रेम' कहा गया है, जो व्यक्ति को अहंकार और सांसारिक मोह से मुक्त करता है. भक्ति योग नौ प्रकार के भक्ति मार्गों श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन के माध्यम से आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है. आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर के अनुसार, "भक्ति योग प्रेम और समर्पण की वह शक्ति है, जो मन को शांत और हार्ट को करुणा से भर देती है."

Advertisement

कर्म योग

कर्म योग निस्वार्थ कर्म और कर्तव्य पर केंद्रित है. भगवद्गीता में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया कर्म योग का उपदेश, "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" (तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों में कभी नहीं) इसके मूल सिद्धांत को रेखांकित करता है. कर्म योग व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का निर्वहन बिना फल की इच्छा के करने की प्रेरणा देता है, जो मन को शुद्ध और जीवन को सार्थक बनाता है. कर्म योग का आधार है कार्य को पूजा मानकर करना. यह न तो कर्म से भागने की सलाह देता है और न ही फल की लालसा में डूबने की. यह व्यक्ति को अपने कार्यों को समाज, प्रकृति और ईश्वर की सेवा के रूप में देखने के लिए प्रेरित करता है. स्वामी विवेकानंद ने कर्म योग को "निस्वार्थ कार्य के माध्यम से आत्मा की मुक्ति" बताया है.

Watch Video: Male Infertility क्या है? पुरुष बांझपन के लक्षण, कारण और इलाज, जानें सब कुछ

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Advertisement
Featured Video Of The Day
Bareilly Violence News: मौलाना Tauqeer Raza 'गुनहगार', चार्जशीट से प्रहार! | CM Yogi