थैलेसीमिया एक वंशानुगत रोग है. यह माता-पिता से बच्चों में आता है. ऐसी कई जांच भी मौजूद हैं. जिनसे यह पता लगाया जा सकता है कि गर्भ में पल रहे बच्चे में इसके होने की कितनी संभावना है. माता या पिता किसी एक को भी थैलेसीमिया है, तो गर्भ से ही बच्चा इस रोग से ग्रस्त हो सकता है. वहीं अगर माता-पिता दोनों ही माइनर थैलेसीमिया से पीडि़त हैं, तो भी बच्चे में मेजर थैलेसीमिया होने की संभावना काफी बढ़ जाती है. दुखद है कि जिन बच्चों में थैलेसीमिया रोग होता है वे बहुत उम्र नहीं देख पाते. आमतौर पर जो लंबी उम्र तक जीवित होते हैं वे भी उतने सेहतमंद या दुरुस्त नहीं होते. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि थैलेसीमिया से पीडित लोग अपनी डाइट का ध्यान रखें. इस बारे में हमने बात की पोषण विशेषज्ञ और कॉस्मेटोलॉजिस्ट प्रीति सेठ से. जानें थैलेसीमिया के जूझ रहे लोग क्या करें अपनी डाइट में शामिल:
कैसी हो थैलेसीमिया में डाइट
गेहूं का चोकर, मक्का, चावल और सोया जैसे अनाज लोहे के समावेश को कम कर सकते हैं, लेकिन तभी जब वे संतरे के रस जैसे विटामिन सी से भरपूर चीजों के साथ न खाए जाए. आप अनाज के साथ दूध ले सकते हैं. सोया मिल्क भी अच्छा रहता है.
• अनाज: पुराने शाली चावल, जौ, गेहूं, मकई, चना
• दाले: मूंग, मसूर, सोयाबीन, चना
• फल: अमरुद, कीवी, स्ट्रॉबरी, अंगूर, पपीता, सेब, अनार, केला, नाशपाती, अनानास, चकोतरा, सूखी खुबानी, सूखा नारियल, आदि
• सब्जियां: करेला, लौकी, तोरी, परवल पालक, कद्दू, चकुंदर और मौसमी सब्जियाँ टमाटर, बीन्स, मटर, गाजर, ब्रोकॉली, पत्तागोभी आदि
• अन्य: हल्का, तरल भोज्य पदार्थ, थोड़ा-थोड़ा पानी पियें, बादाम, तुलसी, पुदीना, तेज पत्ता
चाय-कॉफी
चाय और कॉफी भी लोहे के समावेश को कम कर सकते हैं. डेयरी उत्पाद दूध, पनीर, दही और अन्य
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डेयरी उत्पाद
शरीर से लोहे के अवशोषण को कम कर सकते हैं. वजन बढ़ने से बचने के लिए टोंड मिल्क पीना चाहिए.
विटामिन E की चीजें
थैलेसीमिया के रोगियों को विटामिन E का भरपूर सेवन करना चाहिए जैसे नट्स, अनाज, अंडे आदि. विटामिन E के लिए जैतून के तेल का सेवन भी किया जा सकता है.
कैल्शियम से भरपूर चीजें
थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों को भरपूर कैल्शियम लेना चाहिए. इससे हड्डियों में मजबूती आती है. सीड्स, बादाम, खजूर आदि जरूर खाना चाहिए.
नियमित रूप से व्यायाम करें
नियमित रूप से व्यायाम करना से थैलेसीमिया रोगियों के लिए काफी प्रभावशाली रहता है.
(यह लेख प्रीति सेठ, पोषण विशेषज्ञ और कॉस्मेटोलॉजिस्ट, पचॉली वेलनेस क्लिनिक संस्थापक, से बातचीत पर आधारित है.)