World No Tobacco Day 2023: तंबाकू के सेवन से धूम्रपान करने वालों के साथ-साथ सैकेंड हैंड स्मोकिंग भी खतरनाक हो सकती है. यह फेफड़े, हार्ट, गले और गर्दन को इफेक्ट कर सकता है, जिससे कैंसर के ट्यूमर, हार्ट डिजीज, डायबिटीज और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) हो सकते हैं. इसके अलावा धूम्रपान किसी के रिप्रोडक्टिव फंक्शन पर भी इसर डाल सकता है. महिलाओं में एक्टिव और इनएक्टिव स्मोकिंग दोनों प्रजनन अंगों और उनके कार्य पर हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं. इसकी वजह से अंडाशय से संबंधित कई समस्याएं हो सकती हैं, जिससे उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है, साथ ही गर्भधारण की प्रगति और परिणाम भी प्रभावित हो सकते हैं. इस वर्ल्ड नो टोबैको डे पर आइए समझें कि धूम्रपान का किसी के ओवरीज और गर्भावस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है.
महिला प्रजनन स्वास्थ्य पर धूम्रपान का प्रभाव | Effects of Smoking On Female Reproductive Health
1. अंडाशय पर प्रभाव
यह समझने के लिए कि धूम्रपान कैसे ओवेरियन फंक्शन को प्रभावित करता है, हमें नीचे बताए गए कारकों पर विचार करने की जरूरत है:
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हार्मोनल असंतुलन: मानव शरीर में एक हार्मोन दूसरे हार्मोन के स्राव द्वारा कंट्रोल करता होती है. तंबाकू में पाए जाने वाले रसायन जैसे सिगरेट रिप्रोडक्टिव हार्मोन के लिए जिम्मेदार ग्लैंड को बाधित करते हैं, इसमें थायरॉयड, हाइपोथैलेमस, पिट्यूटरी और एड्रेनल ग्लैंड शामिल हैं. यह ऑब्टेकल महिलाओं में कोर्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन और पुरुष हार्मोन, टेस्टोस्टेरोन लेवल को बढ़ाता है, कोर्टिसोल और टेस्टोस्टेरोन में स्पाइक को महिला इनफर्टिलिटी से जोड़ा गया है. इसके अलावा एस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टेरोन, एंटी-मुलरियन हार्मोन (एएमएच) और प्रोलैक्टिन जैसे हार्मोन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
ओवेरियन और मेंट्रुअल कंडिशन: धूम्रपान के कारण होने वाले हार्मोनल इनबैलेंस से ओवेरियन और मेंट्रुअल साइकिल डिसऑर्डर में योगदान के लिए जाना जाता है. उदाहरण के लिए महिलाओं में हाई टेस्टोस्टेरोन लेवल पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) से जुड़ा हुआ है, जिससे नेचुरल कंसेप्शन चुनौतीपूर्ण हो जाता है. एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन का लो लेवल भी इर्रेगुलर पीरियड्स का कारण बनते हैं.
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इसके अलावा, कम हुआ एंटी-मुलरियन हार्मोन (एएमएच) गर्भाधान के लिए उपलब्ध अच्छी क्वालिटी वाले एग्स की सीमित संख्या को दर्शाता है, क्योंकि स्मोक कपलर्स की जेनेटिक स्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाता है.
मेनोपॉज: रजोनिवृत्ति यानि मेनोपॉज पीरियड साइकिल के रुकने को दर्शाता है. आमतौर पर महिलाओं में 40 से 50 के दशक के अंत में होती है. मेनोपॉज होने पर ओव्यूलेशन के लिए अंडों की कमी हो जाती है. धूम्रपान उस दर को तेज करता है जिस पर ओवरीज में अंडे डैमेज हो जाते हैं, उनकी संख्या कम हो जाती है और जल्दी मेनोपॉज हो जाता है. मेनोपॉज के बाद प्राकृतिक गर्भावस्था संभव नहीं है.
स्मोकिंग का गर्भावस्था पर प्रभाव | Effect of Smoking On Pregnancy
धूम्रपान एक बच्चे को गर्भ धारण करने के अर्ली स्टेज और प्रेग्नेंसी प्रोसेस दोनों को प्रभावित करता है.
प्रेग्नेंसी कॉप्लीकेशन्स: महिला धूम्रपान करने वालों को एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (गर्भाशय के बाहर भ्रूण का आरोपण), गर्भपात का अधिक खतरा होता है.
फेटल ग्रोथ: धूम्रपान से पैदा होने वाले कार्बन मोनोऑक्साइड सेंट्रल नर्व्स सिस्टम (CNS) को नुकसान पहुंचाने के लिए जाना जाता है. इसके अलावा यह गर्भाशय में फेटल ग्रोथ में बाधा डालता है, जिसकी वजह से सीमित ग्रोथ होती है और समय से पहले जन्म की संभावना अधिक होती है. इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने से लंग्स और ब्रेन टिश्यू को नुकसान हो सकता है.
आनुवंशिक विसंगतियां और जन्म दोष: एग क्वालिटी पर धूम्रपान के नकारात्मक प्रभाव की वजह डाउन सिंड्रोम, टर्नर सिंड्रोम और क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम जैसी आनुवंशिक असामान्यताओं वाले फर्टिलाइज्ड अंडे हो सकते हैं. महिला धूम्रपान करने वालों में कटे होंठ या कटे तालु वाले बच्चों को जन्म देने की संभावना भी अधिक होती है.
जन्म के बाद कॉम्प्लीकेशन: धूम्रपान करने वाली महिलाओं से पैदा होने वाले बच्चों का जन्म के समय वजन कम होता है, मोटापे, डायबिटीज, अस्थमा और हृदय रोगों सहित जैसे-जैसे वे बढ़ते हैं, हेल्थ कॉम्प्लीकेशन्स का रिस्क भी होता है.
अपने खुद की वेलबीइंग और अपने भविष्य के बच्चों के संभावित स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, महिलाओं के लिए तम्बाकू का सेवन सीमित करना या छोड़ना जरूरी है. छोड़ने की प्रक्रिया में सहायता के लिए निकोटीन गम, पैच या दवाओं का उपयोग किया जा सकता है. ये उपाय न केवल महिला प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ाते हैं बल्कि नेचुरल प्रेग्नेंसी के लिए बिना डैमेज एग्स को रिजर्व करने में भी मदद करते हैं.
(डॉ. क्षितिज मुर्डिया, स्त्री रोग विशेषज्ञ और इंदिरा आईवीएफ के सीईओ और सह-संस्थापक हैं)
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