World IBS day 2025: हर इंसान कभी न कभी पेट से जुड़ी समस्याओं से दो-चार होता है. पर कुछ लोगों के लिए ये परेशानी सिर्फ एक टेम्प्रेरी कंडीशन नहीं होती, बल्कि रोज़ की एक ऐसी चुनौती बन जाती है जो उनके काम, रिश्तों और जीवन की क्वालिटी को गहराई से प्रभावित करती है. चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome), जिसे हम आमतौर पर IBS के नाम से जानते हैं, एक ऐसी स्थिति है जो दिखती नहीं है, लेकिन महसूस बहुत गहराई से होती है.
इर्रीटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome)
कब मनाया जाता है?
हर साल 19 अप्रैल को मनाया जाने वाला विश्व IBS दिवस उन लाखों लोगों की आवाज़ को आगे लाने की कोशिश है जो इस स्थिति से जूझ रहे हैं. यह दिन न सिर्फ इस बीमारी की जानकारी को बढ़ाने का जरिया है, बल्कि यह समाज में मौजूद गलत धारणाओं को तोड़ने और पीड़ितों को सहारा देने का एक पावरफुल प्लेट फॉर्म भी बन गया है.
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IBS को जानिए: दिखता नहीं, पर असर गहरा छोड़ता है-
IBS एक लंबे समय तक चलने वाली पाचन से जुड़ी समस्या है. इसका असर आमतौर पर बड़ी आंत पर होता है और इसके लक्षणों में पेट में ऐंठन, सूजन, गैस, दस्त या कब्ज शामिल हो सकते हैं. दिलचस्प बात ये है कि IBS किसी भी आंत को शारीरिक रूप से नुकसान नहीं पहुंचाता, फिर भी यह रोज़मर्रा की ज़िंदगी को पूरी तरह बदल सकता है. IBS की पहचान करना आसान नहीं होता, क्योंकि इसके लक्षण कई दूसरी बीमारियों से मेल खाते हैं. कई बार लोग इसे हल्के में लेते हैं या शर्म के कारण डॉक्टर से बात नहीं करते, जिससे इसका सही इलाज समय पर नहीं हो पाता.
साल 2025 की थीम-
"क्या आप सर्वश्रेष्ठ हो सकते हैं?" ("Are You the Best You Can Be?) इस साल की थीम लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करती है कि वे अपनी हालत को खुद समझें, सही जानकारी हासिल करें और अपना इलाज एक सक्रिय सोच के साथ करें. इसका मकसद सिर्फ बीमारी को जानना नहीं है, बल्कि लाइफ की क्वालिटी को बेहतर बनाना है. यह थीम यह भी याद दिलाती है कि IBS से ग्रसित व्यक्ति अकेले नहीं हैं. समाज, डॉक्टर और परिवार - सबका साथ मिलकर ही वो माहौल बन सकता है जिसमें मरीज बिना झिझक अपनी बात कह सकें और सही सलाह ले सकें.
IBS क्यों होता है?
IBS के पीछे कई वजहें हो सकती हैं.
-दिमाग और पेट के बीच तालमेल में गड़बड़ी – हमारी आंतें और दिमाग आपस में लगातार संवाद करते हैं. जब यह कम्युनिकेशन प्रभावित होता है, तब पेट ज्यादा सेंसिटिव हो जाता है.
-आंतों के मोशन में अनियमितता - कभी-कभी भोजन तेजी से या बहुत धीरे पचता है, जिससे दस्त या कब्ज हो सकता है.
-बैक्टीरिया का इम्बैलेंस - आंत में मौजूद फायदेमंद बैक्टीरिया के इम्बैलेंस से गैस, सूजन और पाचन की समस्या बढ़ जाती हैं.
-पुराने इंफेक्शन या सूजन - कुछ लोग गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफैक्शन के बाद IBS से पीड़ित हो जाते हैं.
-स्ट्रेस और एंग्जायटी - मेंटल स्टेट का सीधा असर पेट पर होता है. एंग्जायटी या डिप्रेशन से IBS के लक्षण बढ़ सकते हैं.
लक्षण जिन पर ध्यान देना जरूरी है-
IBS के लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं, लेकिन इनमें सबसे आम लक्षण हैं-
- पेट दर्द या ऐंठन, जो मल त्याग के बाद कुछ हद तक कम हो जाती है.
- बार-बार गैस बनना और सूजन महसूस होना.
- दस्त, कब्ज या दोनों का एक साथ आना.
- मल में सफेद या चिपचिपा पदार्थ दिखाई देना.
- अधूरा मल त्याग होने की भावना.
- कभी-कभी मतली या भूख कम लगना.
-इसके साथ ही मानसिक थकान, नींद में कमी और सोशल एक्टिविटीज़ से दूरी भी इस स्थिति का हिस्सा बन सकते हैं.
IBS का इलाज-
IBS का कोई एक इलाज नहीं है. यह व्यक्ति की लाइफ स्टाइल, खाने की आदतों और मेंटल स्टेट पर निर्भर करता है. लेकिन कुछ उपायों से इसे काफी हद तक काबू में लाया जा सकता है:
1. खानपान में सुधार-
-Low-FODMAP डाइट से IBS में आराम मिलता है. यह उन खाद्य पदार्थों से बचाव करता है जो आंत में ज्यादा गैस या सूजन पैदा करते हैं.
-घुलनशील फाइबर (जैसे ओट्स, केला, सेब) कब्ज में मदद करता है, लेकिन अघुलनशील फाइबर (जैसे साबुत अनाज, कच्ची सब्जियां) कुछ लोगों के लिए भारी पड़ सकता है.
-कैफीन, अल्कोहल और मसालेदार खाना सीमित करें.
- दिनभर में छोटे और संतुलित भोजन लें, और खूब पानी पिएं.
2. तनाव से दूरी बनाएं-
- योग, ध्यान और सांस लेने की तकनीकें मानसिक शांति के साथ पेट को भी राहत देती हैं.
- CBT यानी ‘Cognitive Behavioural Therapy' से भी अच्छे नतीजे मिले हैं.
3. दवाओं का इस्तेमाल (डॉक्टर की सलाह से)
- दर्द या ऐंठन के लिए एंटीस्पास्मोडिक दवाएं.
- दस्त या कब्ज के अनुसार निर्धारित दवाएं.
- प्रोबायोटिक्स भी कुछ मामलों में मददगार हो सकते हैं.
चुनौतियां जो अभी भी बाकी हैं-
IBS का सामना करने वालों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है-
- सही समय पर निदान न होना.
- समाज में बीमारी को लेकर जानकारी की कमी.
- हर व्यक्ति पर इलाज का अलग असर होना.
- मानसिक दबाव और सामाजिक दूरी.
- परिवार या कार्यस्थल में सहयोग की कमी.
- इन सभी पहलुओं पर बात करना और जागरूकता फैलाना बेहद ज़रूरी है.
आप क्या कर सकते हैं?
इस विश्व IBS दिवस पर, आप कुछ छोटा करके भी बड़ा बदलाव ला सकते हैं.
- इस विषय पर खुलकर बात करें.
- किसी जानने वाले को डॉक्टर से मिलने की सलाह दें.
- सोशल मीडिया या ब्लॉग के ज़रिए सही जानकारी फैलाएं.
- ऐसे अभियानों में हिस्सा लें जो मेंटल और फिजिकल हेल्थ को बढ़ावा देते हैं.
Irritable Bowel Syndrome (IBS): लक्षण, कारण, बचाव, घरेलू नुस्खे और इलाज | Read
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)