World Embryologist Day: 25 जुलाई को ही पहली आईवीएफ बेबी ने रखा था दुनिया में कदम, जानिए कैसे होता है IVF

World Embryologist Day: 25 जुलाई को विश्व IVF दिवस मनाया जाता है, जिसे विश्व भ्रूणविज्ञानी दिवस के रूप में भी जाना जाता है. ये हमें मौका देते हैं उन महानुभूतियों को सम्मानित करने का जिन्होंने सूनी गोद को उम्मीद दी.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

World Embryologist Day: 25 जुलाई को विश्व IVF दिवस मनाया जाता है, जिसे विश्व भ्रूणविज्ञानी दिवस के रूप में भी जाना जाता है. ये हमें मौका देते हैं उन महानुभूतियों को सम्मानित करने का जिन्होंने सूनी गोद को उम्मीद दी. लाखों के माता पिता बनने का सपना साकार किया. इस दिन का इतिहास आशा, विश्वास और उम्मीद के धागे से बंधा है.  

तो इतिहास सालों के उस अथक प्रयास के सफल रिजल्ट से भी जुड़ा है. इसी दिन 1978 में पहली आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) बेबी का जन्म हुआ था. नाम रखा गया लुईस जॉय ब्राउन. ये अविश्वसनीय था जिसे कर दिखाया भ्रूणविज्ञानी यानी एंब्रियोलॉजिस्ट्स ने इसलिए इस दिन को उनके सम्मान में समर्पित कर दिया गया. (भारत की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी का नाम कनुप्रिया अग्रवाल है जो कोलकाता में जन्मीं वो भी लुईस के जन्म के 67 दिन बाद यानि 3 अक्टूबर 1978 को जन्मीं.)

कल्पना से परे था ये चमत्कार. उन कपल्स के लिए उम्मीद की एक किरण बन कर आया ये मेडिकल साइंस का कारनामा. सालों की रिसर्च और स्टडी का नतीजा था जिसने सबको चौंका कर रख दिया. कौन होते हैं ये भ्रूणविज्ञानी जिन्होंने दुनिया को हैरान कर दिया?

Advertisement

Explained: IVF में भ्रूण को कैसे फ्रीज किया जाता है? आईवीएफ में फ्रीज किए हुए भ्रूण का उपयोग करने के क्या लाभ हैं, जानिए

Advertisement

दिल्ली के मालवीय नगर स्थित निजी अस्पताल में बतौर भ्रूणविज्ञानी काम कर रहीं ललिता उपाध्याय बताती हैं, हम डॉक्टर नहीं होते. भ्रूणविज्ञानी वो वैज्ञानिक होते हैं जो प्रयोगशालाओं में पर्दे के पीछे काम करते हैं. भ्रूण ट्रांसफर करने या उन्हें संरक्षित करने का जटिल काम! जैसे भ्रूण का विकास परखनली में सही हो, स्वस्थ हो, उसको बढ़ने के लिए जरूरी पोषण मिले इस पर पैनी नजर बनाए रखते हैं. हम समर्पित पेशेवरों को अक्सर रोगी के शुक्राणु, अंडे या भ्रूण के प्रोटेक्टर या "देखभालकर्ता" के रूप में देखा जाता है, जो शुरू से अंत तक उनके विकास यात्रा के साक्षी बनते हैं.

Advertisement

प्रश्न है कि आखिर कौन हैं वो जिनके लिए ये विधि वरदान है? इन्फर्टिलिटी यानि बांझपन एक ऐसी समस्या है, जिससे कई लोग प्रभावित होते हैं. पुरुष या महिला किसी में भी कोई कमी होती है या मां बाप बनने में कोई परेशानी आती है. ऐसे लोगों के लिए परखनली शिशु विधि उम्मीद की नई दिशा की ओर बढ़ाती है. आईवीएफ तकनीक एक तरीका है, जिसके जरिए गर्भ से बाहर लैब में भ्रूण एक टेस्ट ट्यूब यानि परखनली में तैयार किया जाता है. इस प्रक्रिया के तहत महिला के शरीर से अंडों को बाहर निकालकर इसे स्पर्म से फर्टिलाइज किया जाता है. इसके बाद तैयार हुए भ्रूण यानी एंब्रियो को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है और इस तरह गर्भधारण की प्रक्रिया शुरू होती है.

Advertisement

Cervical Cancer से बचने का कारगर तरीका है HPV Vaccine, जानिए किसे और कब लेना चाहिए HPV वैक्सीन

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Samarth: समावेशिता एक ऐसा कारण है जो मेरे दिल के करीब है: Union Minister Jayant Choudhary