World Down Syndrome Day 2024: शरीर और दिमाग दोनों पर बुरा असर डालती है ये बीमारी, जानिए वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे का महत्व और इस साल की थीम

World Down Syndrome Day 2024: संयुक्त राष्ट्र इन बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का काम करता है. ऐसी ही एक सबसे पुरानी बीमारी का नाम डाउन सिंड्रोम है. यह जेनेटिक डिसऑर्डर मरीजों की बॉडी और उसके ब्रेन दोनों पर बेहद बुरा असर डालती है.

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हर साल क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे.

World Down Syndrome Day: दुनिया भर में कई खतरनाक और रेयर बीमारियों के बारे में मेडिकल साइंस लगातार रिसर्च, स्टडी और एक्सपेरिमेंट कर नए फैक्ट्स जुटाता रहता है. डॉक्टर्स लगातार ऐसे बीमारियों के इलाज की कोशिश करते रहते हैं. वहीं, संयुक्त राष्ट्र इन बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का काम करता है. ऐसी ही एक सबसे पुरानी बीमारी का नाम डाउन सिंड्रोम है. यह जेनेटिक डिसऑर्डर मरीजों की बॉडी और उसके ब्रेन दोनों पर बेहद बुरा असर डालती है.

क्या है और क्यों होता है डाउन सिंड्रोम

मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक डाउन सिंड्रोम तब होता है जब किसी इंसान के पास क्रोमोसोम 21 की एडिशनल आंशिक (या पूरी) कॉपी होती है. यह अभी तक पता नहीं चला है कि यह सिंड्रोम क्यों होता है, लेकिन डाउन सिंड्रोम हमेशा से लोगों को बीमार करता रहा है. यह दुनिया भर के सभी हिस्से में मौजूद है. आमतौर पर यह लोगों के सीखने की शैली, शारीरिक विशेषताओं और सेहत पर काफी बदलाव करने वाला निगेटिव असर डालता है.

क्यों और कब से मनाया जाता है वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने दिसंबर, 2011 में घोषणा की थी कि हर साल 21 मार्च को वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे के रूप में मनाया जाएगा. महासभा ने 21 मार्च, 2012 को पहला वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे मनाया. इसके तहत सभी सदस्य राज्यों, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली से जुड़े संगठनों और बाकी अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ-साथ गैर-सरकारी संगठनों और प्राइवेट सेक्टर सहित सिविल सोसायटी से डाउन सिंड्रोम के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए इस खास दिन को मनाने की अपील की.

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वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे मनाए जाने की पृष्ठभूमि

दुनिया में हर साल लगभग तीन हजार से पांच हजार बच्चे इस डाउन सिंड्रोम बीमारी के साथ पैदा होते हैं. डाउन सिंड्रोम से पीड़ित लोगों की देखभाल और जरूरतों को पूरा करने के लिए नियमित तौर पर मेडिकल जांच के अलावा फिजियोथेरेपी, मेंटल थेरेपी, स्पीच थेरेपी, काउंसलिंग वगैरह को आजमाया जाता है. डाउन सिंड्रोम को लेकर स्टीरियोटाइप को खत्म करने की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी. कल्चर और मीडिया दोनों में इस इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी के बारे में खुल कर सही बात करने के लिए वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे जैसे इवेंट की बेहद जरूरत थी.

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वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे 2024 की थीम और उसका महत्व

डाउन सिंड्रोम इंटरनेशनल नेटवर्क न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 21-22 मार्च 2024 को 13वें वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे सम्मेलन (डब्ल्यूडीएसडीसी) की मेजबानी करेगा. इस साल 'एंड द स्टीरियोटाइप'  ही इवेंट की थीम है. डाउन सिंड्रोम और बौद्धिक विकलांगता वाले लोगों के साथ आम लोगों की तरह व्यवहार नहीं करना सबसे बड़ी रूढ़िवादिता है. उनके साथ बच्चों जैसा व्यवहार करना, उन्हें समाज से लगभग बाहर कर देना, उन्हें कमतर आंका जाना या उनके साथ कभी-कभी दुर्व्यवहार भी किया जाना सबसे बड़ी रूढ़िवादिता है. वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे 2024 इसी रूढ़िवादिता को खत्म करने की अपील करता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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