Brain Tumor Symptoms And Treatment: हर साल आठ जून को दुनिया भर में ब्रेन ट्यूमर दिवस (World Brain Tumor day 2023) मनाया जाता है ताकि इस जानलेवा बीमारी के रिस्क फैक्टर और इससे बचाव के लिए जनता को जागरुक किया जा सके. आपको बता दें कि ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumor) दिमाग से जुड़ी जानलेवा बीमारी है जिसमें दिमाग में कोशिकाओं की गांठ बन जाती है. समय पर पता ना चले तो ये बीमारी (Disease) तेजी से फैलती है और जानलेवा (Life Threatning) साबित हो सकती है. इसलिए हर साल आठ जून को वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे के मौके पर दुनिया भर में इस बीमारी को रोकने के मकसद से कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
क्यों होता है ब्रेन ट्यूमर (Why Does Brain Tumor Happen)
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक ब्रेन ट्यूमर कैंसर और नॉन कैंसर दो प्रकार से होता है. ब्रेन ट्यूमर जैसी खतरनाक बीमारी आनुवांशिक कारणों के साथ साथ, अनियमित जीवन शैली जैसे अल्कोहल का अधिक सेवन, नशीली दवाओं के सेवन , नींद की कमी, रेडिएशन के संपर्क में आने जैसे कई कारणों के चलते होती है. अगर शुरुआती लक्षणों पर गौर किया जाए तो ये बीमारी ठीक हो सकती है. लेकिन कई बार इलाज के बावजूद ये वापस आ जाती है. कभी कभी ज्यादा उम्र और बाकि कई शारीरिक कारकों के चलते ब्रेन ट्यूमर का सटीक इलाज संभव नहीं हो पाता है.
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण (Symptoms Of Brain Tumor)
हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि बाकी शरीर की तरह दिमाग में भी कोशिकाएं बनती और विभाजित होती रहती हैं. लेकिन कुछ कारणों से जब कोशिकाएं डीएनए की गड़बड़ी के चलते असामान्य होकर गांठ के रूप में तब्दील हो जाती हैं तो इसे ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है. ये बीमारी काफी तेजी से फैलती है. सिर में बार बार दर्द होना, उल्टी मतली होना, थकान होना, शरीर में असंतुलन पैदा होना, मूड स्विंग, सुनने में परेशानी होना, नींद की परेशानी, मेमोरी लॉस, कमजोर नजर, फोकस और एकाग्रता की कमी, मांसपेशियों में ऐंठन होना जैसे कई लक्षण है जिनसे पता चलता है कि ब्रेन ट्यूमर शरीर को अपनी गिरफ्त में ले रहा है.
ब्रेन ट्यूमर का रिस्क फैक्टर (Brain Risk Factors)
अधिकांश लोगों में ब्रेन ट्यूमर की शुरुआत के वक्त कारण स्पष्ट नहीं होता. ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट्स ने कुछ ऐसे कारणों की पहचान की है जिससे ब्रेन ट्यूमर का जोखिम बढ़ सकता है. तो आज हम आपको बताएंगे ब्रेन ट्यूमर के वो रिस्क फैक्टर्स जिन से बचा जा सकता है..
उम्र : वैसे तो ब्रेन ट्यूमर किसी को अपना शिकार बना सकता है लेकिन ज्यादातर ये बुज़ुर्गों में होता है. कुछ ब्रेन ट्यूमर ऐसे होते हैं जो ज्यादातर वयस्कों को ही प्रभावित करते हैं और कुछ ब्रेन ट्यूमर ज्यादातर बच्चों में होते हैं.
मोटापा : अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने से कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, जिसमें मेनिंगियोमा नाम का एक प्रकार का ब्रेन ट्यूमर भी शामिल है. यूके में हर साल होने वाले 100 में से 2 ब्रेन ट्यूमर (2%) का डाइग्नोसिस अधिक वजन या मोटापे के कारण होता है. फिजिकली एक्टिव और हेल्दी रहकर आप इस जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं. इसके अलावा बैलेंस डाइट होना भी बेहद जरूरी है.
फैमिली हिस्ट्री: अगर आपके किसी करीबी या रिश्तेदार को ब्रेन ट्यूमर हुआ है, तो आपका जोखिम बाकि लोगों की तुलना में अधिक होगा. जैसे आप के माता पिता, भाई बहन या फिर बच्चों में अगर यह बीमारी पहले रही है तो ये आपको भी हो सकती है. ब्रेन ट्यूमर का एक छोटा सा हिस्सा जेनेटिक कंडीशन से जुड़ा हुआ होता है. ऐसे में जिन लोगों ने एक से ज्यादा यह सिंड्रोम पाया जाता है उनमें ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा बढ़ सकता है.
बचाव और उपचार है संभव (Precaution And Treatment)
ब्रेन ट्यूमर से बचाव करने के लिए हर व्यक्ति को अपनी जीवनचर्या को संतुलित बनाए रखना चाहिए. नियमित तौर पर एक्सरसाइज, अल्कोहल, स्मोकिंग से दूरी और सही डाइट इसके लिए जरूरी है. अगर ब्रेन ट्यूमर से बचाव करना है तो सही आराम और पर्याप्त नींद पर भी फोकस करना चाहिए. उपचार की बात करें तो ब्रेन ट्यूमर का इलाज तभी संभव है जब शुरूआती स्टेज में इस बीमारी के बारे में पता चल सके. अस्पतालों में सर्जरी, कीमोथैरेपी और रेडिएशन थेरेपि के जरिए ब्रेन ट्यूमर का इलाज किया जाता है. नए दौर में टारगेट ड्रग थेरेपी के जरिए भी इसका उपचार संभव हो रहा है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.