डाउन सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं में अल्जाइमर का खतरा अधिक- शोध में हुआ खुलासा

Alzheimers Disease: शोध के मुताबिक, महिलाओं के दिमाग में ये हानिकारक प्रोटीन ज्यादा होने की वजह से अल्जाइमर के लक्षण अधिक तेजी से और गंभीर रूप में विकसित होते हैं.

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Alzheimers Disease: महिलाओं में अल्जाइमर का खतरा अधिक क्यों.

Alzheimers Disease: डाउन सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में अल्जाइमर बीमारी ज्यादा गंभीर हो जा रही है. एक नई रिसर्च में पाया गया है कि जिन महिलाओं को डाउन सिंड्रोम होता है, उनमें अल्जाइमर बीमारी के लक्षण पुरुषों की तुलना में जल्दी और अधिक गंभीरता से सामने आते हैं. इर्विन की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि डाउन सिंड्रोम की पहचान की औसत उम्र महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए समान होती है, लेकिन महिलाओं के दिमाग में अल्जाइमर से जुड़े दो मुख्य प्रोटीन, बीटा ऐमिलॉइड और फॉस्फोराइलेटेड टाउ, पुरुषों की तुलना में अधिक मात्रा में पाए गए हैं. यह खास तौर पर दिमाग के पीछे वाले हिस्से ओसीसीपिटल लोब में ज्यादा मिले हैं.

शोध के मुताबिक, महिलाओं के दिमाग में ये हानिकारक प्रोटीन ज्यादा होने की वजह से अल्जाइमर के लक्षण अधिक तेजी से और गंभीर रूप में विकसित होते हैं. रिसर्च का यह पहलू स्पोरेडिक अल्जाइमर पर आधारित है, जो ज्यादातर उम्र बढ़ने के कारण होता है.

रिसर्च की प्रमुख लेखिका एलिजाबेथ एंड्रयूज ने कहा, "दिमाग के कौन से हिस्से ज्यादा कमजोर होते हैं और ये पुरुषों और औरतों में कैसे अलग होते हैं, अगर हम ये अच्छी तरह समझ लें, तो इलाज के नतीजे बेहतर हो सकते हैं." डाउन सिंड्रोम वाले लोगों की मौत का सबसे बड़ा कारण अल्जाइमर बीमारी होती है क्योंकि उनके जीन में ऐसा बदलाव होता है जिसकी वजह से उन्हें यह बीमारी आम लोगों की तुलना में जल्दी हो जाती है.

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पहले के कुछ अध्ययनों में देखा गया था कि डाउन सिंड्रोम वाली महिलाएं, पुरुषों की तुलना में, डिमेंशिया के साथ ज्यादा समय तक जी सकती हैं. लेकिन उनके दिमाग में बीमारी के बदलावों पर गहराई से अध्ययन अब तक कम हुआ है.

इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने पोस्टमार्टम में दिमाग के नमूनों का विश्लेषण किया और बीटा ऐमिलॉइड और टाउ प्रोटीन के स्तर मापे. इस शोध के निष्कर्ष मेडिकल जर्नल अल्जाइमर और डिमेंशिया पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं. यह जानकारी न केवल डाउन सिंड्रोम वाले लोगों के लिए, बल्कि व्यापक अल्जाइमर प्रभावित जनसंख्या के लिए भी उपचार की रणनीतियों को बेहतर बनाने में मददगार साबित हो सकती है.

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यूसी इरविन की पैथोलॉजी की प्रोफेसर एलिजाबेथ हेड ने कहा, ''अगर महिलाओं में बीमारी की पहचान तब होती है जब यह पहले से ही ज्यादा बढ़ चुकी होती है, तो इससे इलाज शुरू करने के सही समय और क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों पर असर पड़ सकता है. यह रिसर्च इलाज को ज्यादा प्रभावी बनाने में मदद कर सकती है, न केवल डाउन सिंड्रोम वाले मरीजों के लिए बल्कि पूरे अल्जाइमर समुदाय के लिए.'' हेड ने कहा, ''पुरुषों और महिलाओं में अल्जाइमर के कारणों और प्रभावों को समझना इलाज और दवा परीक्षण के तरीके में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण है. इससे अल्जाइमर के इलाज को और ज्यादा असरदार बनाया जा सकता है.''

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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