एंडोमेट्रियोसिस क्या है? महिलाओं को होती है ये गंभीर बीमारी, जानें इसके कारण, लक्षण और उपचार

एंडोमेट्रियोसिस फैलोपियन ट्यूब, ओवरी, लिम्फ नोड्स और पेरिटोनियम पर भी असर डाल सकता है. ऐसे में जरूरी है कि इस बीमारी से पूरी तरह से अवगत रहा जाए. तो आइए जानते हैं  एंडोमेट्रियोसिस होने के कारण, लक्षण और इसको रोकने के उपाय.

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एंडोमेट्रियोसिस गर्भाशय (Uterus) में होने वाली एक गंभीर समस्‍या है. इसके चलते एंडोमेट्रियल टिशुओं में असामान्य तरीके से बढ़ने लगते हैं और वो गर्भाशय के बाहर फैलने लगते हैं. कभी-कभी तो एंडोमेट्रियम की परत गर्भाशय की बाहरी परत के अलावा ओवरी, आंतो और दूसरे रिप्रोडक्टिव ऑर्गंस (Reproductive Organs) तक भी फैल जाती है. एंडोमेट्रियोसिस फैलोपियन ट्यूब, ओवरी, लिम्फ नोड्स और पेरिटोनियम पर भी असर डाल सकता है. ऐसे में जरूरी है कि इस बीमारी से पूरी तरह से अवगत रहा जाए. तो आइए जानते हैं  एंडोमेट्रियोसिस होने के कारण, लक्षण और इसको रोकने के उपाय.

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एंडोमेट्रियोसिस होने के कारण (Cause Of Endometriosi)

 1. इरेगुलर पीरियड्स: जब पीरियड्स होते हैं तो ब्लड शरीर से बाहर निकलता है और फैलोपियन ट्यूब के साथ वापस श्रोणि में प्रवाहित होता है. लेकिन एंडोमेट्रियोसिस वाली महिलाओं में ये एंडोमेट्रियल कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं .

2. फैमिली हिस्ट्री: यह बीमारी जीन से भी बढ़ती है. अगर आपके परिवार में किसी को इसकी शिकायक रही है तो संभावना है कि आप भी इसकी चपेट में आ सकते हैं. 

3. इमब्रोनिक सेल ट्रांसफॉर्मेशन: गर्भवाहिक कोशिकाओं को प्यूबर्टी और उसके बाद भी अंतःगर्भनाली जैसे ऊतक में परिवर्तित होने की संभावना है

4. सर्जिकल स्कारइम्प्लांटेशन : सिजेरियन सेक्शन या हिस्टेरेक्टॉमी के बाद एंडोमेट्रियल कोशिकाएं सर्जिकल वाली जगहों से जुड़ सकती हैं.

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एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण ( Endometriosis Symptoms)

  1. क्रोनिक पेल्विक पेन, जो अक्सर मासिक धर्म से जुड़ा होता है
  2. पीरियड पेन
  3. इंटरकोर्स के समय या बाद में दर्द
  4. दर्दनाक मल त्याग या पेशाब करना
  5. पीरियड्स के दौरान या बीच में ज्यादा ब्लीडिंग
  6. बांझपन या प्रेगनेंसी में कठिनाई
  7. थकान, सूजन या गैस्ट्रिक समस्याएं

एंडोमेट्रियोसिस का उपचार (Endometriosis Treatment)

1. पेन किलर : इबुप्रोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर पेन किलर्स दर्द को रोकने में मदद कर सकती हैं.

2. हार्मोनल थेरेपी: बर्थ कंट्रोल पिल्स, प्रोजेस्टिन थेरेपी या गोनैडोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन (जीएनआरएच) एगोनिस्ट/एंटागोनिस्ट जैसी हार्मोनल दवाएं एंडोमेट्रियोसिस को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकती हैं.

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3. लेप्रोस्कोपिक सर्जरी: सर्जरी करके इसको हटाया जा सकता है या फिर खत्म किया जा सकता है. 

4. हिस्टेरेक्टॉमी: कई गंभीर मामलों में जहां कोई भी ट्रीटमेंट काम नहीं करता है ऐसे में गर्भाशय और कभी-कभी अंडाशय को हटाना पड़ सकता है. 

5. सहायक उपचार: कुछ लोगों को एक्यूपंक्चर, डाइट नें बदलाव, एक्सरसाइज जैसी दूसरे उपायों को करने पर भी राहत मिल सकती है. 

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प्रिवेंशन टिप्स (Prevention tips)

  • अपने वजन को कंट्रोल में रखने और बैलेंस डाइट से इस समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है.
  • फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और प्रोटीन से भरपूर डाइट का सेवन करने से शरीर में सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे एंडोमेट्रियोसिस का खतरा कम हो सकता है.
  • शराब और कैफीन दोनों ही हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकते हैं और शरीर में सूजन बढ़ा सकते हैं. इन चीजों का सेवन सीमित करने से एंडोमेट्रियोसिस के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है.
  • यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) को एंडोमेट्रियोसिस के लिए हाई रिस्क माना गया है. सेफ इंटरकोर्स करने से एसटीआई के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है.
     

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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