Parents should not shout at children at night: बच्चे बहुत नाजुक होते हैं और उन्हें सही और गलत का कोई अंदाजा नहीं होता है. बच्चे की जैसी परवरिश करेंगे वो वैसा ही बनेगा. बच्चों की मानसिक और भावनात्मक स्थिति बहुत कमजोर होती है. ऐसे में बच्चों के माता-पिता और आस-पास के लोगों की वजह से उनका मानसिक और भावनात्मक संतुलन बनता और बिगड़ता है. पेरेंट्स दिनभर अपने बच्चों के साथ किस तरह पेश आते हैं इस पर एक बड़ा सवाल बनता हैं, लेकिन बच्चों के मानसिक-भावनात्मक विकास के लिए जरूरी है कि रात को उनके सोने से पहले उनके साथ कैसे पेश आना है.
बच्चों को डांटकर, फटकार और उन पर चिल्लाने के साथ-साथ उन्हें मारकर सुलाने का चलन बहुत है. बच्चे डर के कच्चे होते हैं और वह पेरेंट्स के डर से सो भी जाते हैं, लेकिन इससे उनकी मानसिक और भावनात्मक स्थिति पर कितना असर पड़ता है यह बहुत सोचनीय स्थिति है.
वहीं, बाल एवं शिशु रोग के एक्सपर्ट का मानना है कि ऐसा करने से बच्चे दिमागी रूप से कमजोर होते चले जाते हैं. आइए जानते हैं आखिर सोने से पहले बच्चों के साथ क्या-क्या नहीं करना चाहिए.
सोने से पहले बच्चों पर ना चिल्लाएं ( Parents should not shout at children before their Sleeping)
एक्सपर्ट का मानना है कि बच्चों के लिए सोने का समय बहुत महत्व रखता है. बच्चों के लिए सोने का समय खुद को अगले पल के लिए चार्ज और दिमाग को नई ऊर्जा देने के लिए होता है. इसलिए बच्चों के सोने से पहले उनपर ना तो चिल्लाएं और नहीं उन्हें डांटे और फटकार लगाएं. इससे वह तनावग्रस्त होने लगेगा.
सोने का समय क्यों मायने रखता है? (Why Sleeping Time is Best of Kids)
इमोशनल सिक्योरिटी : सोने से पहले बच्चे चाहते हैं कि उन्हें प्यार और सुरक्षित माहौल मिले, लेकिन कई पेरेंट्स अपने बच्चे के सोने से पहले उनपर चिल्लाकर उनका मानसिंक संतुलन बिगाड़ने का काम करते हैं.
अच्छी नींद की गुणवत्ता : पेरेंट्स को चाहिए कि वो अपने बच्चों के सुलाने से पहले उनके साथ खेलें और उनका मन को खुश करें. जब बच्चा खुश होकर सोता है तो उसको बहुत गहरी नींद आती है, जिससे उसका शारीरिक विकास तेजी से होता है.
सॉलिड बोन्ड : पेरेंट्स को अपने बच्चों के साथ एक मजबूत बोन्ड बनाना चाहिए. इसके लिए पेरेंट्स को उसका दिन सकारात्मक रूप से समाप्त करना होगा, जिससे बच्चे अपने पेरेंट्स संग खुद को सुरक्षित महसूस करें. चिल्लना और गुस्सा करना बच्चों को चिड़चिड़ा बना देता है.
डर की भावना : बता दें, पेरेंट्स का बच्चों पर चिल्लाना उनमें डर पैदा करता है और इस डर की वजह से बच्चे फिर झूठ बोलना भी सीख जाते हैं. बच्चों को ज्यादा डांटना या फटकारना आपको उनसे दूर कर सकता है.
सपनों का असर : एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि बच्चा रात को जिस मूड से सोता है, उसे वैस ही सपने दिखाई देते हैं. इसलिए बच्चों को प्यार और दुलार कर ही सुलाएं. इससे पहले अच्छे-अच्छ सपने देखेगा और गहरी नींद लेगा.
अपने बच्चों को शांतिपूर्वक कैसे सुलाएं? ( How to put your babies to sleep peacefully)
- बच्चों को शांतिपूर्वक सुलाने के कई तरीके हैं, जिसमें से कुछ हम आपको यहां बताने जा रहे हैं.
- बच्चे आसानी से नहीं सोते हैं, जब वो खेलकर थक जाते हैं तभी वह बिस्तर पकड़ते हैं. लेकिन पेरेंट्स को उनके साथ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए.
- सबसे बच्चों को बिस्तर पर ले जाने से पहले प्यार करें और उसे समझाएं. उनकी बातें सुनें.
- पेरेंट्स बच्चों के सुलाने के लिए उनके साथ बिस्तर पर लेट उन्हें मनमोहक कहानियां सुनाएं.
- बेडरूम की लाइट बंद ना करें बल्कि नाइट बल्ब जलाकर उसको तारों की कहानियां सुनाएं.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)